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SX विधानुशासन 95952
त्रिफलांजन गुड लोद्र द्राक्षा फल पिप्पली समालेपः गर्भग्रहणं प्रतिधान् योनिगतान् नाशयेद् दोषान्
॥ ४६ ॥
त्रिफला (हरड़े बहेड़ा आंमला) अंजन (सुर्मा) गुड़ पठानी लोघ मुन्नका पीपल को समान भाग लेकर लेप करने योनि के दोष दूर होकर गर्भ स्थित हो जाता है ।
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लाक्षा लसुन हरिद्राद्वय गुग्गुल रोचना सुकौशीरैः हिंग्वाऽब्धफेन युक्तैर्गुलिकास्युर्योनि दोष हत
॥ ४७ ॥
पीपल की लाख लहसून दोनों हल्दी गुगुल गोरोचन खस हींग और समुद्र झाग की गोली बनाकर योनि में रखने से योनि के दोष दूर होते हैं।
कणा दारु कणा मूल द्राक्षा पुर गुड़ै : कृतं उद्वर्तनं हरेत्सर्वान्योनिद्दोषान् विसुर्णितै
やらかす
॥ ४८ ॥
पीपल देवदारु पीपला मूल मुनक्का गुगल गुड़ समान भाग लेकर पीसकर उबटना अर्थात लेप करने से योनि के सम्पूर्ण दोष नष्ट हो जाते हैं।
लोग स्वर्ग महारुहोत्पल तिल श्रीरामा पिप्पली यष्टी दाडिम मज्ज सैद्यवं पुर द्राक्षा प्रियंग्वज्र्जुनैः घातक्या कुसुमैश्च गौघृतद्युतैरु द्वर्त्तनं चूर्णितैः योनि दोष हरं च गर्भ जननं पानश्चतेषां स्त्रियां
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पठानी लोध कल्पवृक्ष (बहेड़ा) कमल नीलोफर तिल, दूध, बाराहीकिंद, पीपल, मुलहटी, अनारदाना शालि वृक्ष, सैधव नमक, गुगल मुनक्का, चारौली, अर्जुन वृक्ष की छाल, धाय के फूल का चूर्ण करके उसमें घी मिलाकर उबटना करने से योनि दोष दूर होकर स्त्रियों के गर्भ रहता है। इति वृष्यं पुष्टीक योग समाप्त ।
हयगंधो शीराभ्यां सर्वांगो द्वर्तन च कुर्वीत
गर्भायै बंध्या स्नानं च समंत्रकं कुर्यात्
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गर्भ धारण करने के लिये बंध्या को असगंध उशीर (खस) से सारे शरीर में उबटना (लेप) कराके इस मंत्र से स्नान करावे ।
ॐ नमः पार्श्व जिनेन्द्राय कमठ दर्प विध्वंस नाय सर्वोपसर्ग विनाशनाय धरणेन्द्र फणा मणि सहस्र ज्योति दीप्त दिगंतराल परि मंडिताय पद्मावती श्वेतातपत्रधराय सर्वग्रह मातृका दोषं हनहन अपहर अपहर पुत्रमेजनयजनय शीघ्रं शीयं ऋतु मत्यै नमः स्वाहा ॥
95259595259595 *-: 250525252525295.