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CISDISCIECTRIOTICS विधानुरशासन HSCISIOTICISISCISI पार्श्वनाथ भगवान के स्तयन से भव्य लोग अपनी इच्छा की हुई वस्तुओं के साथ मोक्ष लक्ष्मी को
भी प्राप्त करता है।
इति पार्श्वनाथ स्तवनं
इतिपूर्वोत्तमंत्रणाष्टोत्तरशतजाप्पन एकांतरादिज्वर रिपुचोरमहीपाल शाकिनी भूत बाधा अरण्यस्थाऽसर्पजाभीति च नाशयति करी बद्धे सति तेन मंण अष्टोत्तर शत बारान पुष्प मालां जपित्वा यस्य कंठे धार्यते तस्य भूतादयो गछति गुग्गुल होमेन अष्टोत्तर शतढियमाने उच्चाटनं शांतिश्च भवति सप्रकार पूर्वोक्त मंत्र के १०८ बार जप करके यंत्र हाथ में बांधने से एकांतरा आदि ज्वर, शत्रु, चोर, राजा, शाकिनी, भूत बाधा और बन के सर्पो से होने वाला भय नष्ट हो जाता है। इस मंत्र को फूलों की माला पर १०८ बार जपकर जिसके कंठ में यह माला पहनायी जाती है। उसके भूत आदि भाग जाते हैं। गुग्गुल की गोलियों के १०८ बार होम करने से दुष्टो का उच्चाटन करके घर में शांति होती है।
इति
नमो बागवते पाच नावाम
परगड
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