________________
CASICIRCISCTRICISCE विद्यानुशासन ISISPIRRITICISOTRY
ॐ हीं इयी श्रीं अह ॐणमो अटुंग महाणिमित्त कुशलाणं हाही हं होहः अप्रति चके फट विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्याहा ॥१७॥
जीवित मरणादिकं जानाति इस मंत्र से जीवन मरण आदि को जाना जाता है।
ॐ ह्रीं क्वीं श्रीं अहं ॐणमो विउठवण इट्टि पत्ताणं हां ह्रीं हूं ह्रौ हः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं झौ स्वाहा ॥१८॥
कामित वस्तुनि प्राप्रोति दिन २८ में इस मंत्र से मनुष्य इच्छा की हुई वस्तु को प्राप्त करता है।
ॐ हीं इवी श्री अह ॐ णमो थिज्जाहराणं हां ह्रीं हूं ही हू: अप्रति चके फट विचक्राय असि आउसा झौ झौं स्वाहा ॥१९॥
उपदेश प्रदेश मात्रं गमयति इस मंत्र से उपदेश के एक प्रदेश का ज्ञान करा देता है।
ॐ हीं इवीं श्रीं अह ॐणमो चारणां हां ह्रीं हूं हौं हू: अप्रति चके फट विचक्राय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥२०॥
नष्टचिंता नष्ट पदार्थ स्वयं जानाति इस मंत्र से भूली हुई बात और खोई हुई घीज का स्ययं ज्ञान हो जाता है।
ॐहीं श्वी श्री अह ॐणमोपण समणाणहांहीं ह होहः अप्रतिचक्रे फट विचकाय असि आउसा सौ झी स्वाहा ॥ २१ ॥
आयुष्यावसानं जानाति इस मंत्र से मनुष्य आयु की सामग्री को जानता है।
ॐ ह्रीं क्यी श्रीं अर्ह ॐ णमो आगास गामीणं हां ह्रीं हूं ह्रीं ह्र: अप्रचि चके फट विचकाय असि आउसा झौ झौं स्वाहा ॥ २२॥
अंतरिक्ष गमनं भवति इस मंत्र से आकाश गमन होता है। SECASICISIOSCISIOKARTE ३२६ PISODESIRTERSIOSCII