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चूर्णेन इक्षुर बीजानां चक्रांक्या स्वसेन वा, संमिश्रितं क्षणदेव सलिलं पिड़ितो व्रजेत
15 विद्यानुशासन SPE
वश्या
॥ ९१ ॥
( ईक्षुर) ताल मखाने के बीजों का चूर्ण अथवा (चक्रांकीट) कुकी के रस में मिला हुआ जल उसी क्षण जम जाता है
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सर्धाविव सितं पुष्यं ता पिच्छस्यांजन द्युति, स्पष्टां धूमेन जायते जपा पुष्प समप्रभं
॥ ९२ ॥
अंजन के समान कांति वाले तुरंत का निकला हुआ (तापिच्छ) तमाल का फूल धुंए के लगने से ( जपापुष्प) गुड़हल के फूल के समान लाल हो जाता है।
रक्तस्य करवीरस्य पुष्पं गंधक धूपितं,
श्वेतं स्यात् चूर्ण पृष्टंतुभजेत श्यामतामऽपि
॥ ९३ ॥
लाल कनेर का फूल गंधक के चूर्ण से घिसा जाने से काला हो जाता है। तथा धूप देने से श्वेत हो जाता है।
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