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95015015TOISTRI5215 विधाबुशासन 52505PISOIDESI
रविदुग्धादि विलिते युवति कपालेथवा लिरवेयंत्रं
पुरुषो कृष्टौ च पुनन्नकपाले यंत्र में बंद ॥२८॥ अथवा इस यंत्र को आक के दूध आदि से लिपे हुए किसी स्त्री के कापल पर अथवा पुरुष आकर्षण के लिए इस यंत्र को पुरुष कपाल पर लिख्ने ।
चिंतोद्भवनाधिपं मदनाऽधिपस्य तेरारूपरि पार्श्वयो रूभयोस्तव थैवला पिंड मारूण सन्निभं वभ्रमीति कुलाल चक व दपराति सु मंदिरेक्षिप्त मेति सुरांगनापि सुरेन्द्र पत्तन मध्यमात
॥२९॥ मदनाधिप (क्ली) के तुर (वृक्ष) पर भुवनाधिपं (हीं ) दोनों पार्श्व में लाल कांति वाले तथा शुत्रुओं के मंदिर में कुमार के चक्र के समान समते हुवे एवलपिंड (न्ने का ध्यान करने में इन्द्र के नगर में से देवांगना भी शीघ्र से आ जाती है।
ॐ हीं हत्कमले गजेन्द्र वशगं संवार्ग संधि ष्वपि माया मा विलिख्यते कुच द्वितय के योनि देशे तथा क्रों कारैः परिवेष्टय मंत्र वलयं ।।
दद्यात् ततो अग्नेः पुरस्ताद्वाहस्टो जिलमूपुरं त्रिदिवसा दीपारिनना कर्षण
॥ २९॥
ॐ नमो भगवति कष्ण मातंगिनी शिला वल्कल कुशम धारिणी किरात् शवरी
सर्वजनमनोहरी सर्वजन वंशकरी ह्रां ह्रीं हू हौं ह: अमुकीं माकर्षय
माकर्षय मम वश्या कृष्टि कुरू कुरू संवोषट्। एक ताम्र पत्र पर अपनी इष्ट स्त्री का चित्र ऊपर को पैर और नीचे को सिर करके बनाये। उसके हृदय कमल में ॐ ह्रीं, एंग के सब जोड़ो में क्रों, दोनों कुचों में हीं, और योनि प्रदेष में यूं लिखकर उसके चारों तरफ क्रों बीज लिखकर, त्रिभुजयावर्त (अग्नि मंडल) बनावे। उसमें उपरोक्त मंत्र लिखकर फिर एक अनिल (वायु मंडलः और एक भूमंडल बनाये जिनमें से प्रथम रं बीज वाला वायु मंडल और तीसरा लं बीजवाला पृथ्वी मंडल होगा तीन दिन तक दीपक की शिखा को अग्नि पर तपावे तो इच्छित स्त्री का आकर्षण होता है।
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