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________________ 252525252525 Rugausia 252525252525 चारों तरफ एक के ऊपर एक इस क्रम से त्रिभुज के रूप में पांच अग्निमंडल बनावे। जिनमें बीज (रं) लिखा हुआ हो। उसमें से प्रथम मंडल के तीनों कोणों में क्रों दूसरे तीनों कोणों में ह्रीं बीज लिखें । तीसरे तीनों कोणों में फिर चौथे कोणों में ह्रक्लीं और पाँचवें तीनों कोनों में ब्लू बीज लिखे और ह्सौं बीज भी लिखे। इसके बाहर अंबिका मंत्र लिखे। इसके बाहर अग्नि मंडल और मरुत (वायु) मंडल लिखे। इस यंत्र को ताम्र पत्र पर कपड़े पर या खर्पर पर धतुर पात्र के रस और अंगों विष आदि से लिखे तथा में अमुकी के स्थान में उस स्त्री का नाम लिखे। इसे सार दिन तक दीपक की शिखा की अग्नि पर तपाये जाने से इच्छित स्त्री का आकर्षण करता है ऐसा पूर्वाचार्यों ने कहा है। すて विश्व * 4 3 AL N 3 * 1 १२ सभी thr บ 4 2 4 2 2 र * 17 ttt १ है २ १ १ १ १ tiitti t + t पे LAC " र २ २२११२३२ १ २१ र 2 x * 1 ttttt AARAAAAA **** 82 2 2 2 2 2 2 2 7 7 7 ★★★★FRA म * * * #11 #111111211 *?? #121zz cxt?**** TTT ܐ · 2 2 2 2 2 2 2 22 777E1111 2171221 zzzzzzzz ररररर महान मदनशतुरे श्री की अपको मानार्थमाया 峦 2 अन 22222322 2 र‍ * t t * * * ररररर पछी कोही स्वीपर 25252525252525;-&‹ P/505051 だけでらでらでらでらでら
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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