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जप में दिशा- कालादि का विचार
१. अष्ट कर्मों के जप में दिशादि का चार्ट
नं. कर्म
१. दिशा
२.
समय
३. मुद्रा
गदा
४. आसन विकटासन कुर्कटासन
५.
पल्लव
ठः ठः
हुं हुं
६.
वस्त्र
पीत
७
पुष्प
पीत
वर्ण पीत
८.
९.
स्तंभन विद्वेषण आकर्षण
आग्नेय दक्षिण मध्यान्ह पूर्वाह्न
पूर्व
पूर्वाह
विन्यास आक्रांत
गर्भित
१२. मणियें
पुत्रजीवि
१३. अंगुली
१०. प्राणायाम कुंभक
११. मामा
नीम
के फल
स्वर्ण
कनिष्ठा
अंगुष्ठा
दक्षिण
दक्षिण
१४. हाथ
१५. स्वर
१६. ऋतु वसंत १७. मण्डल पृथ्वी १८. योग
चर
१९. करण
२०. दानों की १५ संख्या २९. दिवस रवि, शनि
मंगल
मूशल पाश
धूम्र पाचांत
रोधन
ग्रीष्म
वायु
चर
रेचक
रीठे
के फल
पुत्रजीवि मूंगा
तर्जनी
१५
दंडाशन
बौष
शुक्र, शनि
बाल रवि
ग्रंथित
पूरक
कमल
के बीज
कनिष्ठा
वाम
वाम
वसंत
अग्नि
स्थिर
१०८
1
पौष्टिक शांतिक नैऋत्य पश्चिम
अंतरात्रि मध्यरात्रि
कमल
पद्मासन
स्वधा
प्रवेत
संपुट
सर्वतो
मोती
मध्यमा
।,
मुख विदर्भ
ग्रसित
-
पद्मासन
T
श्वेत
श्वेत
हेमन्त 'शरद्
जल
जल
कृष्ण
४,८
ad, बालव
कौलव
१०८ १०८
उच्चाटन वश्य
मारण
वायव्य उत्तर ईशान
अपराह्न
पूर्वान्ह
संध्या
वज्र
पाश
खड़ग
वज्रासन स्वस्तिकासन भद्रासन
जाण
गूढ़ धूम्र
समस्त
आनंत
गर्भित
विदर्भित
स्फटिक पुत्रजीवि मूंगा
तर्जनी
वायु
घर
१५
रवि शनि बुध, शनि, शनि
मंगल
रक्त
कृष्ण
मन्थन सस्त
गर्भित
आद्यन्त
गर्भित पल्लव
कपल
के बीज
दक्षिण ब्राम दक्षिण
दक्षिण वाम
दक्षिण
वर्षा
शिशिर
अग्नि
चर
कृष्ण
८, १४
अनामिका तर्जनी
बसन्त
जल
स्थिर
रेचक
१०८
२२. पक्ष
कृष्ण
शुक्ल
२३० तिथि अष्टमी, ८.९.
२,३
ちからもちこちでたら らにたちやらでらでらみ
१५
गुरू, सोम, रवि शनि,
मंगल
कृष्ण
शुक्ल
४. ६