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OSSISTRI50150150 विद्यानुशासन 950151215CISIONSIOS
अंकुश सरोज बोध प्रवाल शव यज मुद्राः स्युः आकष्टि वश्य शांतिक विद्वेषण रोध वध समटो
॥१०॥ आकर्षण में अंकुश, वशीकरण में सरोज, शांति पौष्टिक में योध, विद्वेषण तथा उच्चाटन में प्रवाल स्तंभन में शंख और मारण में वन मुद्रा होती है।
दंड स्वस्तिक पंकज कुर्कट कलिशोधभद्र पीठानि
आसन विद्या प्रयोज्यन्युक्ते ष्वाकर्षणोषु ॥११॥ फिर उन आकर्षण आदि में क्रम से दंड स्वस्तिक पंकज कुर्कुट वज और भद्र आसनों का प्रयोग करना चाहिये।
वषट वश्तो फट उच्चाटे ई देखे पौष्टिके स्वधा वौषट आकर्षणे स्वाहा शांती घे घे थ मारणे
॥१२॥ फिर वशीकरण में वषट् पल्लव, उचाटन में फट, विद्वेषण में हुं, पौष्टिक में स्वधा, आकर्षण में वौषट, शांति में स्वाहा और मारण में घे घे पल्लव का प्रयोग करें।
आकष्टौ संवश्ये शांतीद्वेषेचरोधने व क्रमशः
उदद्यार्क रक्त शशधर धूम्र हरिद्रासिता वर्णाः ॥१३॥ फिर आकर्षण में उदय होते हुए सूर्य के समान वर्ण, वश्य में लाल, शांति में श्वेत, विद्वेषण में धूम, वर्ण, स्तंभन में हल्दी के समान पीला और मारण में कृष्ण वर्ण का उपयोग करें।
पीता रूण सितैः पुष्पै स्तंभनाकष्टि मारणे शांति पौष्टिकटोः श्वेतैर्द्रम वर्णः प्रचालने
॥१४॥ फिर स्तंभन में पीत वर्ण पुष्प, आकर्षण में रक्त, मारण में कृष्ण, शांति में वेत, पौष्टिक में श्वेतवर्ण के पुष्पों का प्रयोग करें।
लोहित छविभि वश्ये विद्वेषेऽजन सन्निभैः जप होमार्चनान्यत्र तत्त कुर्याणि मंत्र वित्
॥१५॥ मंत्र शास्त्र के ज्ञाता वशीकरण के जप होम और पूजन में लाल वर्ण के सब द्रव्य लेवे । विद्वेषण में अन्जन के समान वर्ण वाले द्रव्यों का प्रयोग करे।जप होम और पूजन के कर्म मंत्र की तरह द्रव्य काम में लावे।
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