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वास्तु चिन्तामणि
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हे भास्कर देव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीप, धूपं, चरु, बलि. फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्य समर्पयामि स्वाहा।
___शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ गुड़ और सफेद फूल चढ़ाएँ।
(25) सत्यक् देव पूजा हे सत्यकाय देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में।।25।।
ॐ आं क्रौं ह्रीं श्यामवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे सत्यक् देव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे सत्यकाय देव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीप, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे-यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ ताजा मकरवन चढ़ाएँ।
(26) भृषदेव देव पूजा हे भृषदेव देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में।।26।।
ऊँ आं क्रौं ही पुष्पवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे भृषदेव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। ___हे भृषदेव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ ताजा मक्खन का गोला चढ़ाएँ।
(27) अन्तरिक्ष देव पूजा अन्तरिक्ष देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते। वसुद्रष्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए।।27।।
ॐ आं क्रौं ही कुंदवणे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे अन्तरिक्ष देव अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे अन्तरिक्ष देव इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्प, दीप, धूपं, चरुं,