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________________ वास्तु चिन्तामणि 223 वत्स सम्मुख होने पर आयु का नाश करता है। पीछे की तरफ होने पर धनक्षय करता है । दायें या बायें तरफ होने पर सुखदायक होता है। पूर्व दिशा में खात का कार्य करना है तो यदि उसमें सूर्य कन्या राशि का हो तो प्रथम भाग में पांच दिन तक काम न करें, अन्यत्र करें। आगे द्वितीय भाग में दस दिन तक न करें, अन्य भाग में करें। आगे तीसरे भाग में पन्द्रह 席 मिथुन मिथुन behik 5 10 कन्या कन्पा उत्तर 明 15 कन्या 30 15 5 तुला वृश्चिक वृश्चिक वृश्चिक्र पूर्व घर या प्रासाद बनाने की भूमि 超 be 姚 OL SL 08 ย סן 마 दक्षिण $ अग्नि uss 15 30 कुम्भ कुम्भ कुम्भ 約 दिन तक न करें, फिर अन्यत्र करें। तुला राशि का सूर्य होने पर मध्यभाग में तीस दिन तक न करें । वृश्चिक राशि के सूर्य होने पर प्रथम पन्द्रह दिन पांचवें भाग में काम न करें, फिर दस दिन छठवें भाग में तथा फिर पांच दिन सातवें भाग में काम न करें। अन्यत्र कार्य कर सकते हैं। पूर्व दिशा की भांति अन्य दिशाओं का भी विचार कर लेना चाहिए।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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