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________________ xxxVIII बास्तु चिन्तामणि प्रकाशकीय परम पूज्य गुरुवर मुनि श्री आचार्य 108 प्रज्ञाश्रमण देवनन्दि जी महाराज के कर कमलों से रचित यह अद्वितीय कृति आपके हाथों में प्रस्तुत कर मुझे हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्री ने प्रस्तुत ग्रंथ वास्तु चिन्तामणि की रचना कर समाज का अत्यधिक उपकार किया है। मैं उनके चरण कमलों में सदैव नतमस्तक हूं। मेरा उन्हें बारम्बार नमोस्तु। वास्तुशास्त्र संबंधित दोषों के कारण प्रगति रुक जाती है। हानि, अपघात, कलह, रोग इत्यादि कष्टों में वास्तु दोष भी प्रमुख कारण माने जाते हैं। जैनेतर ग्रंथों का अवलोकन करने पर मुझे लगा कि जैन धर्म में भी वास्तु शास्त्र विषय पर कोई ग्रंथ अवश्य होना चाहिए। विज्ञजनों से चर्चा करने पर जात हुआ कि वर्तमान में इस विषय पर जैन शास्त्रों में कोई भी ग्रंथ पृथक से उपलब्ध नहीं हैं। मुझे गुरुवर पर पूर्ण आस्था थी। मुझे लगा कि यदि पूज्य गुरुवर की लेखनी से इस विषय पर कोई ग्रंथ रचा जाये तो बड़े सौभाग्य की बात होगी तथा सभी श्रावकों को, जैन-जैनेतर पाठकों को एक मार्ग दर्शक ग्रंथ की प्राप्ति होगी। इस ग्रंथ से पाठक अपने वास्तु दोषों को समझकर उसका निवारण करेंगे तथा अपनी परेशानियों से मक्त होंगे। यह मेरा असीम सौभाग्य है कि पूज्यवर ने मेरी विनती सुनी तथा उनके अद्भुत ज्ञान एवं श्रम साध्य पुरुषार्थ के परिणाम स्वरुप इस 'वास्तु चिन्तामणि' ग्रंथ की रचना हुई। पूज्यवर के इस कार्य का जितना भी गुणगान किया जाये, वह अल्प ही है। इस कार्य से विशेष कर उन पाठकों को लाभ होगा जो हिन्दी भाषी हैं। वास्तु शास्त्र के गहन ज्ञान से अनभिज्ञ पाठक इससे लाभान्वित होंगे। मेरी हार्दिक भावना थी कि गुरुदेव की यह कृति जन-जन तक पहुंचे तथा जैन-जनेतर सभी पाठक इसके ज्ञान से लाभ लें। सर्वजन - सुलभता की दृष्टि से मैंने यथा - शक्ति अपने द्रव्य का सदुपयोग गुरु-चरण प्रसाद समझकर किया है। मैं इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता प्रगट करते हुए यह भावना करता हूं कि उनका मंगल सानिध्य हम सबको निरन्तर प्राप्त हो तथा उनके आशीषों की छाया तले हम निराकुल आनंदमय जीवन की प्राप्ति कर आत्म कल्याण करें। उस्मानाबाद नीलम कुमार अजमेरा दिनांक 16 जनवरी 1996
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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