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वास्तु चिन्तामणि
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गृहारम्भ कार्य में नक्षत्र विचार शुभ लग्न तथा चन्द्रमा का बल देखकर अधोमुख नक्षत्रों में खात मुहुर्त करना चाहिये। शुभ लग्न तथा चन्द्रमा बलवान देखकर ऊर्ध्व नक्षत्रों में शिला का रोपण करना चाहिये।
सुह लग्गे चंद बले खणिज्ज नीमीउ अहोमुहे रिक्वे। उड्ढमुहे नक्रवत्ते चिणिज्ज सुहलग्नि चदबले।।
- वास्तुसार प्र. 1 गा. 25 इसी प्रकार माण्डव्य ऋषि ने पीयूष धारा टीका में उल्लेख किया है कि अधौमुखैर्विदधीत खातं, शिलास्तथा चोर्ध्वमुस्वैश्चपट्टम्। तिर्यङ मुरवैरिक पाटयानं, गृहप्रवेशो मृदुभिर्धवःः।।
अधोमुख नक्षत्र में खात कार्य करना चाहिये। ऊर्ध्वमुख नक्षत्रों में शिला सथा पाटड़ा की स्थापना करें। द्वार, आलमारी, रथ, वाहन आदि का निर्माण त्तियकमुख नक्षत्रों में करें। ध्रुव नक्षत्रों में गृह प्रवेश करें। मृदु नक्षत्रों में भी गृह प्रवेश कर सकते हैं। | अधोमुख नक्षत्र | ऊर्ध्वमुख नक्षत्र | तिर्यकमुख नक्षत्र । भरणी
श्रवण
पुनर्वसु आश्लेषा
आर्द्रा
अनुराधा पूर्वाफाल्गुनी
ज्येष्ठा पूर्वाषाढ़ा
रोहिणी
हस्ता पूर्वाभाद्रपद उत्तराफाल्गुनी
चित्रा उत्तराषाढ़ा
स्वाति उत्तरा भाद्रपद
अश्विनी विशारखा शतभिषा
मृगशिर कृतिका धनिष्ठा
रेवती अधोमुख नक्षत्र -खात कार्य सिद्धि के लिए श्रेष्ठ तिर्यकमुख नक्षत्र- खेती यात्रा सिद्धि के लिए श्रेष्ठ
पुष्य
मूल
मघा