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वास्तु चिन्तामणि
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सोपान (सीढ़ी)
Stair Case सीढ़ियों की आवश्यकता प्रत्येक आवासगृह में होती है। सीढ़ियों का निर्माण या तो घर के भीतरी भाग में किसी कमरे में किया जाता है अथवा बाहरी भाग में। आजकल सर्पिलाकृति सीढ़ियां भी बनाई जाती हैं।
घर के बहुमंजिला होने पर नीचे से ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनाना आवश्यक होता है। घर में प्रवेश करते समय भी सीढ़ियों का प्रयोग करना होता है। सीढ़ियों के निर्माण के लिए आग्नेय, वायव्य, उत्तर या नैऋत्य दिशा उत्तम होती है। सीढ़ियां दक्षिणावर्त होनी चाहिए। सीढ़ियां ईशान दिशा में नहीं होनी चाहिए। हां, लिफ्ट लगाने के लिए ईशान दिशा उपयुक्त होगी क्योंकि उसमें नीचे गहरा स्थान होता है।
सीढ़ियों के विषय में यदि निम्न लिखित संकेतों का ध्यान रखा जाए तो स्वामी के लिए हितकारी परिणाम प्राप्त होते हैं
अ. भीतरी सीढियां 1. ईशान कक्ष में कतई न बनाएं। 2. उत्तरी या पूर्वी दीवाल से न छूकर कम से कम तीन इंच दूर बनाएं। 3. दक्षिणी या पश्चिमी दीवाल से लगकर बना सकते हैं। 4. पश्चिमी दीवाल से लगकर पूर्व से पश्चिम की ओर चढ़ते हुए बनाएं। 5. दक्षिणी दीवाल से लगकर उत्तर से दक्षिण की ओर चढ़ते हुए बनाएं।
.. ब. बाहरी सीढियां (सीधी) मकान का | सीढ़ी की । दीवाल से | अग्रेसर चढ़ाव मुख
दिशा लगकर
उत्तरी ईशान उत्तरी | पूर्व से पश्चिम पश्चिम | दक्षिणी आग्नेय दक्षिणी | पूर्व से पश्चिम उत्तर पूर्वी ईशान पूर्वी उत्तर से दक्षिण दक्षिण | पश्चिमी वायव्य | पश्चिमी | उत्तर से दक्षिण