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वास्तु चिन्तामणि
सड़क
विस्तार
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सड़क
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चित्र वा-6 6. वायव्य में विस्तार या वायव्य को बन्द करने के साथ उत्तरी पार्श्व की
सड़क के वायव्य से ईशान की ओर जाने से उत्तरी ईशान में कटाव होगा। इसके प्रभाव से धनागम तो होगा किन्तु स्त्री प्रामुख्यता एवं मानसिक चिंता तथा असंतुलन बना रहेगा। (चित्र वा-7)
चबूतरे की अपेक्षा उत्तर में चबूतरा फर्शतल से ऊंचा होने पर दीर्घ असाध्यरोग तथा पुरुषों पर कर्ज का बोझ चढ़ने की स्थिति निर्माण होगी। वायव्य का चबूतरा उत्तर एवं दक्षिण में ग्रिल से ढंका हो तो ग्रिल की आधार दीवाल अन्य दीवालों के समकक्ष रखें, कम बिल्कुल न रखें अन्यथा उत्तरी एवं पश्चिमी वायव्य में विस्तार का परिणाम दृष्टिगोचर
होगा जो कि प्रतिकूल है। 3. ईशान की अपेक्षा वायव्य का चबूतरा एवं फर्शतल निम्न तल पर हो तो शत्रुता, स्त्रीरोग तथा अनपेक्षित भय का सामना करना पड़ेगा।
तल एवं कोण की अपेक्षा 1. नैऋत्य से वायव्य भाग नीचा रखें। 2. आग्नेय से ईशान भाग नीचा रखें। (चित्र वा-8) 3. कम्पाउन्ड वाल का वायव्य कोना गोल या कोणाकार बना सकते हैं। 4. वायव्य कोण में सुधार आदि काम वास्तु नियमानुसार ही करें अन्यथा
अनपेक्षित घटनाओं का आगमन हो सकता है। 5. वायव्य भाग ईशान से ऊंचा किन्तु आग्नेय से नीचा हो। (चित्र वा-8)