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________________ 234) विमान में बैठकर सीता के पास पुण्डरीकपुर गए । सीता रोते-रोते बोली, 'भैया, राम ने मेरा त्याग किया है। मेरा त्याग तुम्हारे भानजों को सहन नहीं हुआ । अतः वे राम से युद्ध करने गए हैं ।' (श्लोक १००-१०१) __भामण्डल बोले, 'राम ने रभसवृत्ति से अर्थात् बिना कुछ सोचे तुम्हारा त्याग किया है। अब कहीं स्वपुत्रों को मार डालने का अविवेकपूर्ण कार्य न कर बैठे क्योंकि उन्हें तो ज्ञात ही नहीं है कि वे उनके पुत्र हैं। इसलिए राम उन्हें मार डालें उसके पूर्व ही मैं वहाँ पहुंचता हूं।' (श्लोक १०२-१०३) ___ तदुपरान्त भामण्डल सीता को अपने विमान में बैठाकर लवण और अंकुश की छावनी में जा पहुंचे । लवण और अंकुश ने सीता को प्रणाम किया। सीता उनसे बोली, 'ये तुम्हारे मामा हैं, इनका नाम है भामण्डल । तब दोनों भाइयों ने उन्हें प्रणाम किया। भामण्डल ने उनका मस्तक सूघा। उनका शरीर हर्ष से रोमांचित हो उठा। वे उन दोनों को गोद में बैठाकर गद्गद कण्ठ से बोले, 'मेरी बहन पहले वीर-पत्नी थी अब सौभाग्य से वीर-माता हो गई है। तुम्हारे जैसे वीर पुत्रों के कारण उसकी निर्मलता चाँद से भी अधिक हो गई है। हे पूवो ! यद्यपि तुम लोग वीर-पुत्र हो, स्वयं भी वीर हो, फिर भी तुम लोग अपने पिता और चाचा के साथ युद्ध मत करो। कारण, रावण जैसा योद्धा जो कि अतुल भुजबल के साथ-साथ विद्याबल का भी अधिकारी था वह भी जब युद्ध में उनके सम्मुख खड़ा हो नहीं पाया । उन महाबलवान् वीरों के साथ मात्र स्व भुजबल से युद्ध करने का साहस तुम लोग कैसे कर रहे हो ?' ___ श्लोक १०४-१०९) लवण और अंकुश ने उत्तर दिया, 'मामाजी, आप स्नेहवश ऐसी भोरुता मत दिखाइए । माँ ने भी ऐसा कहकर हमें भय दिखाया था। हम जानते हैं कि राम और लक्ष्मण से युद्ध करने का सामर्थ्य किसी में नहीं है; किन्तु अब युद्ध से विमुख होकर उन्हें लज्जित क्यों करें?' (श्लोक ११०-१११) ___ इधर जब इस प्रकार की बात हो रही थी तभी राम और उनकी सेना में प्रलयकाल के मेघ-सा युद्ध प्रारम्भ हो गया । अतः भामण्डल इसी आशङ्का से युद्धक्षेत्र में गए कि कहीं सुग्रीवादि खेचर
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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