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________________ 2085 सुनकर राम-लक्ष्मण भी दुःखी हो गए। वे विभीषण से बोले, 'हम लोग तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर बहत दिनों तक तुम्हारे अतिथि रहे; किन्तु अब तुम हमें विदा दो ताकि हम पुत्र-वियोग से व्याकुल माताओं के प्राण वियोग के पूर्व ही उनके निकट जाकर उनकी चरण-धूलि मस्तक पर धारण कर उनके हृदय को शान्त करें।' (श्लोक ६८.७१) तब विभीषण सविनय बोले-'हे स्वामिन् ! आप पन्द्रह दिनों तक यहाँ रहें ताकि इस समय के मध्य यहाँ के कारीगरों को भेजकर अयोध्या को रमणीय करवा दें। राम ने यह स्वीकार कर लिया। विभीषण ने अपने विद्याधर कारीगरों को भेजकर अयोध्या को स्वर्गपुरी-सा सुन्दर बनवा दिया। नारद भी राम से विदा लेकर अयोध्या गए और कौशल्या आदि को राम के शीघ्र ही आने का संवाद दिया। तदुपरान्त सोलहवें दिन राम और लक्ष्मण स्व अन्तःपुर सहित पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या लौट गए। विमान में बैठे राम और लक्ष्मण इस भाँति सुशोभित हो रहे थे जिस प्रकार शक्रेन्द्र और ईशानेन्द्र सुशोभित होते हैं। विभीषण, सुग्रीव, भामण्डल आदि राजाओं सहित राम अल्प समय में ही अयोध्या के निकट जा पहुंचे। अपने अग्रज को पुष्पक विमान में बैठकर आते देख भरत, शत्रुघ्न आदि हाथी पर चढ़कर उनका स्वागत करने के लिए सम्मुख गए। भरत के निकट आते ही राम की आज्ञा से पुष्पक विमान धरती पर उसी प्रकार उतर गया जैसे इन्द्र की आज्ञा से पालक विमान उतर जाता है। भरत और शत्रन भी तब हाथी से उतर कर पैदल चलते हए राम के पास पहुंचे। अनुजों से मिलने को उत्सुक राम और लक्ष्मण भी विमान से उतर गए। भरत शत्रुघ्न ने राम के चरणों में अष्टांग प्रणाम किया। दोनों के नेत्र प्रेमाश्र से भर गए। राम ने उन्हें उठाकर गले से लगा लिया और मस्तक चूमकर उनकी देह की धूल झाड़ दो। फिर उन दोनों ने लक्ष्मण के चरणों में प्रणाम किया। लक्ष्मण ने बाहें फैलाकर उनका आलिंगन किया। (श्लोक ७२-८२) तदुपरान्त राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न पुष्पक विमान में बैठे। राम ने पुष्पक विमान को शीघ्रतापूर्वक अयोध्या-प्रवेश की आज्ञा दी। आदेश मिलते ही पुष्पक विमान राम की अनुजों सहित
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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