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________________ 116]] और सूर्य से मेरुपर्वत शोभान्वित होता है। इन्द्र के उच्चैःश्रवा नामक घोड़े की तरह ऊँची गर्दनयुक्त घोड़ा उसमें लगा था। (श्लोक ५४-६०) चतुरंगिणी अर्थात् हस्ती, अश्व, रथ और पदातिक से वे साम-दाम, दण्ड और भेद रूप नीति की तरह सुशोभित थे । उनके मस्तक पर एक छत्र था और दोनों ओर दो चामर थे। वे तीनों उनके त्रिलोक व्याप्त यशः रूपी लता के तीन अंकूर की तरह लग रहे थे। राजा का रथ चक्र की नाभि पर्यन्त गहरे जल में उतरा । राजा हाथ में धनुष लिए रथ पर बैठे थे। जयलक्ष्मी रूपी नाटक के नन्दी की तरह उन्होंने धनुष की प्रत्यंचा बजाई और भण्डार से जैसे रत्न निकाला जाता है उसी प्रकार तूणीर से तीर निकाला। फिर धातकी-खण्ड के मध्य भाग में अवस्थित धनुषाकार पर्वत की तरह उस तीर को धनुष से युक्त किया । स्वनामाङ्कित और कराभरण प्राप्त उस सोने के तीक्ष्ण तीर को राजा ने कान तक खींच कर मगध तीर्थ के अधिपति की ओर निक्षेप किया। वह तीर आकाश में उड़ते पक्षी की तरह सन्-सन् ध्वनि करता हुमा निमेष मात्र में बारह योजन पथ अतिक्रम कर मगध तीर्थकुमार की सभा में जाकर गिरा। आकाश से गिरती बिजली की तरह उस तीर को गिरते देखकर वह क्रोधान्वित हो उठा। उसकी भौहें टेढ़ी हो गयीं। इससे वह भयंकर लगने लगा। कुछ सोचकर वह उठा और उस तीर को हाथ में लिया। उस पर उसे सगर चक्रवर्ती का नाम दिखाई पड़ा। हाथ में तीर लिए वह सिंहासन पर जा बैठा और गम्भीर शब्दों में बोलने लगा जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में सगर नामक द्वितीय चक्रवर्ती उत्पन्न हुए हैं। भूत भविष्य और वर्तमान काल के मगधाधिपतियों का यह प्रावश्यक कर्तव्य है कि वे चक्रवर्ती को उपहार प्रदान करें। (श्लोक ६१-७३) फिर उपहार की सामग्री लेकर भृत्य की तरह आचरण करते हुए मगधाधिपति सगर चक्री के सामने आए। उन्होंने आकाश में स्थित होकर चक्री निक्षिप्त तीर, हार, बाजबन्द, कर्णाभरण, भुजबन्द प्रादि अलङ्कार, परिधान और देवदूष्य वस्त्र राजा को उपहार में दिए । जिस प्रकार वैद्य रसेन्द्र या पारद देता है उसी प्रकार उन्होंने राजा को मगध तीर्थ का जल दिया। फिर पद्मकोष ..
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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