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________________ 92] भरतखण्ड के मध्य दक्षिणार्द्ध और उत्तरार्द्ध को अलग करने वाला वैताढय पर्वत अवस्थित है। वह पर्वत पूर्व और पश्चिम में समुद्र पर्यन्त विस्तृत और भू-गर्भ में छह योजन एक कोस निहित है। इसका विस्तार पचास योजन और ऊँचाई पच्चीस योजन है। पृथ्वी से दस योजन ऊपर जाने पर दक्षिण और उत्तर में दस-दस योजन फैली विद्याधरों की दो श्रेणियाँ हैं। उनमें से दक्षिण श्रेणी में विद्याधर राष्ट्र सहित पचास नगर हैं और उत्तर श्रेणी में साठ नगर हैं। विद्याधर श्रेणी के और दस योजन ऊपर उतने ही विस्तार वाली व्यन्तर निवासों की दो श्रेरिणयां अवस्थित हैं। इस व्यन्तर श्रेणी के पांच योजन ऊपर नौ कट हैं। इसी प्रकार ऐरवत क्षेत्र में भी वैताढ्य पर्वत है। (श्लोक ६०५-६१०) जम्बूद्वीप के चारों ओर दुर्ग की तरह पाठ योजन ऊंची वज्रमयी प्राकार है। वह प्राकार मूल में बारह योजन, मध्य भाग में पाठ योजन और ऊपर चार योजन है। इसके ऊपर जाल कटक है। जाल कटक दो कोस ऊँचा है। वहां विद्याधरों का अद्वितीय मनोहर क्रीड़ास्थल है। इस जाल कटक के ऊपर भी देवताओं की भोग भूमि रूप पद्मवरा नामक एक सुन्दर वेदी है। उस प्राकार के पूर्वादि दिशाओं में अनुक्रम से विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित नामक चार द्वार हैं। (श्लोक ६११-६१५) क्षुद्र हिमवान और महाहिमवान पर्वत के मध्य अर्थात् हिमवन्त क्षेत्र में शब्दापाती नाम वृत्त वैताढय पर्वत है। शिखरी और रूक्मी पर्वत के मध्य विकटापाती नामक वृत्त वैताढय पर्वत है। महाहिमवान और निषध पर्वत के मध्य गन्धापाती नामक वृत्त वैताढ्य और नीलवन्त एवं रूक्मी पर्वत के मध्य माल्यवान नामक वृत्त वैताढय पर्वत है। ये सब वृत्त वैताढ्य पर्वत पल्याकृति और एक हजार योजन ऊँचे हैं। (श्लोक ६१६-६१८) जम्बूद्वीप के चारों ओर लवरण समुद्र है। इसका विस्तार जम्बूद्वीप से दुगुना है। यह मध्य में एक हजार योजन गहरा है । दोनों ओर के तटों से क्रमशः उतरते हुए १५ योजन पर्यन्त गहराई में और ऊँचाई में इसका जल बढ़ता रहता है। मध्य भाग के दस हजार योजन में सोलह हजार योजन ऊँची लवण सनुद्र की तरंगें हैं। इस पर दिन में दो बार ज्वार-भाटा पाता है। ज्वार का जल दो कोस पर्यन्त बढ़ जाता है । इस लवरण-समुद्र में पूर्वादि
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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