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श्री अमितगति प्राचार्यकृततत्त्वभावना
बड़ा सामायिक पाठ ।
मङ्गलाचरण-दोहा। प्रर्ह सिद्धाचार्यको, बंदि साधु गुणदाय । निवारणी वृष चैत्यजिन, मंदिर नमूं सुध्याय ॥१॥ परमातम सम आपको, ध्याय सुगुरष उर लाय । समताभाव प्रकाशके, मातम सुख झलकाय ॥२॥ सामायिकके भावको, कर प्रकाश निज ज्ञान । भव्यजीव भी रस पियें, यह उपकार पिछान ॥३॥ अमितिगती प्राचार्यकृत, तस्त्रमावना सार । बालबोध भाषा करू, भवधि तारणहार ॥४॥ सम्मति वीर सुधीरको, बर्द्धमान महावीर । गौतम गुरु कुन्दादिको, सुमरौं लिय धरि धीर ॥५॥
उत्थानिका-पहले ही चलने में जो हिंसा हुई उसका पश्चात्ताप करते हैं