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________________ - : - . - . ... प्रथम अधिकार आगे सम्यक्त्व प्रादि पाठ गुणों के स्वामी सिद्ध परमेष्ठी वा स्तवन करते हैं अष्टकर्मारिकायादीन् ये महाध्यानयोगतः । त्यक्त्वानन्तसुखोपेतं त्रैलोक्यशिखरं ययुः ।।१६॥ ताला महासिद्ध-स्त्रिजगन्नाथवन्दितान् । ध्येयानष्टगुणाधीशान स्मरामि हृदि सिद्धये ।।२०।। अर्थः-जो परमशुक्लध्यान के प्रभाव से अष्टकर्मरूपी शत्रुनों का विनाश और परमौदारिक शरीर का परित्याग कर अनन्त सुख सम्पन्न त्रैलोक्य शिखर पर जाकर विराजमान हो गये हैं, जिन्हें त्रिकालवर्ती समस्त तीर्थंकर देव नमस्कार करते हैं एवं को ध्यान करने योग्य हैं, अष्टकर्मों के विनाशसे जिन्हें शायि क-सम्यक्त्वादि पाठ गुण प्राप्त हो चुके हैं ऐसे उन अनन्त और महान् सिद्ध परमेष्ठियों का सिद्धि प्राप्ति की भावना से मैं अपने हृदय में ध्यान करता हूँ ।।१६-२०।। ____ अब छत्तीस गुणों के धारक प्राचार्य परमेष्ठी की स्तुति करते हैं पञ्चाचाराजगतख्यातान स्वमुक्तिश्रीवशीकरान् । स्वयं चरन्ति ये मुक्त्ये चारयन्ति च योगिनः ॥२१।। 'षत्रिंशत्सवगुणः पूर्णाः सूरयो विश्वबान्धवाः । तेषां पादाम्बुजानौमि शिरसाचारसिद्धये ॥२२॥ अर्थः-मुक्ति प्राप्ति की कामना से जगत्प्रसिद्ध पांच प्रकार के (प्राचारों दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चरित्राचार, तप प्राचार, वीर्याचार) का जो स्वयं पालन करते हैं और अन्य मुनिजनों को पालन करवाते हैं, जो स्वर्ग एवं मोक्ष लक्ष्मी को अपने स्वाधीन करने वाले हैं तथा जो छत्तीस गुणों से परिपूर्ण हैं ऐसे विश्वबन्धु रूप उन प्राचार्यों के चरण कमलों को मैं पांच प्राचारों की प्राप्ति के लिये मस्तक झुकाकर नमस्कार करता हूँ ।।२१-२२।। प्रागे अंग और पूर्वो के ज्ञाता उपाध्याय परमेष्ठी को स्तुति करते हैं येशपूर्वप्रकीर्णाधीस्तरन्ति शिवसिद्धये । स्वयं सद्बुद्धिपोतेन सारयन्ति च सन्मुनीन् ।।२३। रत्नत्रयतपोभूषा अज्ञानध्वान्तनाशिनः । तेषां पाठकपूज्यानां स्तोमि क्रमाम्बुजांश्चिदे ॥२४।। १. बारह तप छावासा पंचाचारा तहेव दह धम्मो । गुसितिए संजुता छत्तीस गुणा मुणेयब्दा । २. ग्यारह अंग वियाणइ चउदह पुवाइ रिणरवसेसाई । परणवीसं गुरगजुत्ता णाणाए तस उबभाया ।
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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