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(४) 'न' प्रति का परिचय यह प्रति जयपुर से श्रीमान डा. करारमा एवं अगलालजी के द्वारा प्राप्त हुई है । इसमें १०"x ५३" के २२६ पत्र हैं प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियाँ हैं और प्रति पंक्ति में ३३ से ३६ अक्षर हैं। लाल और काली स्याही का उपयोग हुआ है । प्रति का लेखनकाल सम्बत् १७२६ माघ सुदी नवमी गुरुवार है । श्लोक संख्या ४५१६ दी हुई है। इस प्रति का सांकेतिक नाम 'न' है।
(५) 'ज' प्रति का परिचय यह प्रति जयपुर से श्रीमान डा. कस्तूरचन्दजी एवं श्री अनूपलालजी के द्वारा प्राप्त हुई है। इसमें १२"४६" के २३४ पत्र हैं । प्रत्येक पत्र में १० से १२ पंक्तियाँ हैं । प्रारम्भ के १३६ पत्रों में १०, १० पंक्तियां हैं, शेष में १२, १२ पंक्तियाँ हैं, प्रत्येक पंक्ति में ३० से ३५ अक्षर हैं । लाल और काली स्याही का उपयोग किया गया है । प्रति का लेखनकाल सम्बत् १८२३ भाषाढ़ बदी एकम् है। श्लोक संख्या ४५१६ दी हुई है।
जयपुर से प्राप्त होने के कारण इसका सांकेतिक नाम 'ज' है।