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________________ २५० ] सिद्धान्तसार दीपक धारण करने वाला पद्म नाम का देश है, जहाँ भय्यजन धर्मादि के द्वारा त्रैलोक्यस्थित लक्ष्मी का साधन करते हैं । इस देश के मध्य में सिहपुरी नाम की नगरी शोभायमान है, जहाँ के उत्तम धार्मिक मनुष्य रूपी सिंह निरन्तर कर्मरूपी हाथियों को मारने में उद्यत रहते हैं । ८६-८७।। इस देश के पश्चिम में क्षीरोदा नाम की मनोहर त्रिभंगा नदी है, जो क्षय रहित है और कुण्ड से निकल कर सोतोदा महानदी के मध्य में प्रवेश करती है || ८ || इस विभंगा के पश्चिम में छह खण्डों से सुशोभित महापद्म नाम का देश है, जो नदी, पर्वत, वन, उत्तम ग्राम और नगरों से तथा शुभाचरण से युक्त धार्मिक जनों से परिपूर्ण है । इस देश के मध्य में प्रति रम्य महापुरी नाम की नगरी है, जहाँ पर महान पुरुष तपरूपो वृक्ष से स्वर्ग और मोक्ष का साधन करते हैं ।।५-६०।। इस देश के पश्चिम में देवों के श्राश्रयभूत विकटवान् नाम का वक्षार पर्वत है, जिसके शिखर पर सिद्धायतन, महापद्म पद्मकावतो और विकटवान् नाम के चार कूट अवस्थित हैं |१-६२॥ विकटवान् वक्षार की पश्चिम दिशा में पद्मकावती नाम का महान देश है, जहाँ पर भव्यों को मोक्ष प्राप्त कराने के लिये केवली भगवान् निरन्तर विहार करते हैं । इस देश के मध्य में विजयापरमपुरी नामक नगरी है, जो देश की राजधानी है । धर्म और मोक्ष के लिये जिस नगरों में देवगा भी अपने जन्म लेने की वाञ्छा करते हैं ।।६३-६४।२ पद्मावती देश के प्रागे श्रन्थ अन्य देशों, विभङ्गा नदियों एवं पर्वतों की अवस्थिति कहते हैं :-- पुननंदी विभङ्गा स्यात् सोतोदाव्या विभूषिता । कुण्डव्या सोनदेशस्य ह्यायामेन समायता ॥ ६५ ॥ तस्याः पश्चिमभागेऽस्ति देशः शङ्खाय्य ऊर्जितः 1 शलाकापुरुषा यत्र जायन्ते गरपनातिगाः ॥ ६६ ॥ तन्मध्येऽस्त्यरजाभिख्या पुरी स्वभुं क्तिदायिनी । यस्याः सन्तोऽहं यान्ति धर्माचादिवं शिवम् ॥ ६७ ॥ तत श्राशीविषोनाम्ना वक्षारः काञ्चनच्छविः । देशायामसमायामश्चतुः कूटाश्रितोऽद्भुतः ||६८ ॥ सिद्धकूटं च शङ्खाख्यं कूटं नलिनसंज्ञकम् । कूटमाशीविषं हीति कूटानि तस्य मस्तके ॥६६॥ ततो नलिन देशोऽस्ति यत्र सम्भार्गवृत्तये । विहरन्ति गणेशाश्च सूरयः पाठकाः सदा ॥१००॥
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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