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________________ ८ चतुर्दश जीव समास मंत्र & ॐ ह्रीं पर्याप्त पृथ्वीकायिक जीव रक्षकेभ्यो नमः । १०० , अपर्याप्तक पृथ्वी कायिक जीव रक्षकेभ्यो नमः । १०१ : पर्याप्तक अपकार्षिक जीर रक्षकेभ्यो नमः । । अपर्याप्तक अपकायिक जीप रकम्पो नम । यति बस पारि श्रीपर कभ्यो नमः । १.४ अपर्याप्तक तैजस कायिक जीव रक्षकेन्यो नमः । पर्याप्तक वायुकायिक जीव रक्ष केभ्यो नमः । ,, अपर्याप्तक वायु कायिक जीव रक्षकेभ्यो नमः । ,, पर्याप्तक वनस्पति जीव रक्षफेभ्यो नमः । 1. अपर्याप्तक पनगति जीव रक्षकेभ्यो नमः । पर्याप्त द्विन्द्रियादि विकल त्रय रक्षकेभ्यो नमः । अपर्याप्तक द्विन्द्रियादि विकलत्रय रक्षकेभ्यो नमः । १.१५ , पर्याप्तक एन्चेन्द्रिय जीव रक्षक मुनिभ्यो नमः : १ १२ ,, अपर्याप्तक. प.चेन्द्रिय जीव रक्षक मनिभ्यो नमः । ० ० ११० ॥ अपया - ॥१६॥
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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