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________________ ( शान्तिसुधा सिन्धु ) I दी जाती, वा आत्मज्ञानके विरुद्ध शिक्षा दी जाती है, अथवा आप ग्रंथोंके विरुद्ध शिक्षा दी जाती है, ने विद्यालय भलेही यद्वातद्वा जीविका के साधन माने जाते हों, परंतु उन विद्यालयों में पढनेवाले विद्यार्थियोंकी में शांति की प्राप्ति नहीं हो। अतएव ऐसे विद्यालयोंसे धार्मिक लाभ कुछ नहीं होता जिस विद्याका अध्ययन करनेसे आत्मामें परम शांति प्राप्त होती है. वही विद्या श्रेष्ठ विद्या कहलाती है । जिस विद्यासे शांति प्राप्त न हो, वह विद्या संक्लेश उत्पन्न करनेवाली और अशुभ कर्मोंका बंध करनेवाली वा नरकादिके दुःख देनेवाली मानी जाती है । इसलिए ऐसी विद्याका पढना सर्वधा व्यर्थ है । इसीप्रकार शांति प्राप्त करनेके लिएही कोश स्थापन किया जाता है, उस कोशके द्रव्य से अनाश्रित धर्मात्मा पुरुषों का स्थितीकरण किया जाता है, और उनको सुख देने, वा धर्मसाधन करनेके साधनों की वृद्धि की जाती है । बिना द्रव्यके अनाश्रित लोग शांतिपूर्वक धर्मसाधन नहीं कर सकते, इसलिए उनका स्थितिकरण किया जाता है, और इनके लिए कोकी स्थापना की जाती है। इसके सिवाय संसारभरमे शांति स्थापन करने के लिए दुःखी जीवोंको धैर्य धारण कराया जाता है, दुष्ट राजाकी कुटिल नीतिका निरोध किया जाता है, शांतिकेही लिए सबके साथ मिष्ट और हितरुप भाषण किया जाता है, और शांतिकेही लिए पात्रदान जिनपूजन, व्रत, उपवास, यज्ञोपवीतादिके समस्त संस्कारोंकी क्रियाएं की जाती है । हे वत्स ! ये सब कार्य आत्म शांति प्राप्त करनेके लिए किए जाते हैं । ३४७ प्रश्न- इतच्च क्रियते शान्त्यै भावना सुखदा सदा ? अर्थ - अब आगे अपने आत्मामें परम शांति प्राप्त करनेके लिए सदासुख देनेवाली अपनी भावनाओंका निरूपण करते हैं ! उ.-निरामयोऽनन्त सुख स्वरूपः सदा चिदानन्दमयो ममात्मा । व्याध्यादिमुक्तोऽखिलवुःखदूरः चिन्मात्रमूर्तिर्भुवि निर्विकारी।। शुद्धः प्रबुद्धो विमलो विरागी ब्रह्मस्वरूपी समशान्तिशीलः । समस्तसंकल्पविकल्प भेवी शान्त्यर्थमेवापि च चिन्त्यते हि ।। " अर्थ - यह मेरा शुद्ध स्वरूप आत्मा समस्त रोगोंसे रहित है, अनंत सुखस्वरूप है, सदाकाल चिदानंदस्वरूप रहता है समस्त अधि
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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