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(५) पार्श्वनाथ स्तवन
(६) शत्रु जगमंडल जी यादिनाव बन
(७) गौतम गणधर स्तवन
( ८ ) वद्धमान जिन द्वात्रिंशिका
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( 8 ) मारी स्तोत्र
(१०) भक्तामर स्तोत्र
(११) रिस्तोत्र
(१२) शान्ति स्तवन एवं गृह
शान्ति
(१३) श्रात्मानुशासन
(१३) अजितनाथ स्तमन
(१४) वमान सुति
(१५) वीतरागा-क
(१६) षष्टिशर्त
(१७) गोतमपृच्छा
(१८) सम्यकत्व सप्तति
(१३) उपदेश माला
(२०) मतृहरि शतक
पार्श्वनाग
६४७, पाठ संग्रह
जिनमसूरि
पूर्व वेष्टन नं० १२५ |
मंदारी नेमचन्द्र
६४६. पद संग्रह पत्र संख्या ४१ से ६४ रचनाकाल x 1 लेखन काल- पूर्ण वेटन नं० १४०
विशेष निम्न पार्टी का संग्रह है
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संस्कृत
31
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37
"
"
73
"
32
33
,
७७ पथ हैं
33
२० का० सं० १०४० भादवा बुदी १५
19
[ गुटके एवं संग्रह अन्य
श्राकृत
संस्कृत
हिन्दी
संस्कृत
१३ पद्म
६ पच
भर्तृहरि
६४४. गुटका नं० १४३ पत्र संख्या ५४-५५२ भाषा-हिन्दी]- पूर्व
विशेष- चौबीस तीर्थकरों का सामान्य परिचय है।
है
६४४. धर्मविकास धानतराय पत्र रूपा-४४ - १०३० भाषा-हिन्दी प रचना काल । लेखन का पूर्ण प्नं०१०८
विशेषधर्मविलास यानी की रचनाओं का संग्रह है।
१२ पद्म हैं ।
४४ पथ
I
११४६ भाषा हिन्दी पद्य विषय-संग्रह
११२ भाषा-संस्कृत लेखन का X