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________________ ३१० ] (५) पार्श्वनाथ स्तवन (६) शत्रु जगमंडल जी यादिनाव बन (७) गौतम गणधर स्तवन ( ८ ) वद्धमान जिन द्वात्रिंशिका C ( 8 ) मारी स्तोत्र (१०) भक्तामर स्तोत्र (११) रिस्तोत्र (१२) शान्ति स्तवन एवं गृह शान्ति (१३) श्रात्मानुशासन (१३) अजितनाथ स्तमन (१४) वमान सुति (१५) वीतरागा-क (१६) षष्टिशर्त (१७) गोतमपृच्छा (१८) सम्यकत्व सप्तति (१३) उपदेश माला (२०) मतृहरि शतक पार्श्वनाग ६४७, पाठ संग्रह जिनमसूरि पूर्व वेष्टन नं० १२५ | मंदारी नेमचन्द्र ६४६. पद संग्रह पत्र संख्या ४१ से ६४ रचनाकाल x 1 लेखन काल- पूर्ण वेटन नं० १४० विशेष निम्न पार्टी का संग्रह है - संस्कृत 31 " 37 " " 73 " 32 33 , ७७ पथ हैं 33 २० का० सं० १०४० भादवा बुदी १५ 19 [ गुटके एवं संग्रह अन्य श्राकृत संस्कृत हिन्दी संस्कृत १३ पद्म ६ पच भर्तृहरि ६४४. गुटका नं० १४३ पत्र संख्या ५४-५५२ भाषा-हिन्दी]- पूर्व विशेष- चौबीस तीर्थकरों का सामान्य परिचय है। है ६४४. धर्मविकास धानतराय पत्र रूपा-४४ - १०३० भाषा-हिन्दी प रचना काल । लेखन का पूर्ण प्नं०१०८ विशेषधर्मविलास यानी की रचनाओं का संग्रह है। १२ पद्म हैं । ४४ पथ I ११४६ भाषा हिन्दी पद्य विषय-संग्रह ११२ भाषा-संस्कृत लेखन का X
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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