SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Party सिद्धान्त एवं पर्चा ] नाम पत्र संख्या पद्य संख्या विशेष ने २६ (१०) मोह उन्ष्टमित पचीसी (१) प्रथम शुक्ल ध्यान पचीसी ( १२ / अंतर चोबनो (१३) बंधवोल (१४) इकबीस गिमाती को पाठ (१५) सम्यक चतुरदसी (१६)क अक्षर आदि बीसी (१.! रामद रूपदीय १६. Kw १८८४ माघ सुदी। मंगलवार ६. कर्मप्रकृति-प्राचार्य नेमिचन्द्र । १५ संख्या-९६१ साइज-!१४४ इञ्च भाषा-प्राक्त । विषय-- सिद्धान्त | रचनाकाल-X । लेखन काल-x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । विशेष-मूल मात्र हैं तया गापायों की संख्या १६२ हैं। ७. प्रति नं.२-पत्र संख्या-१६ । साहज-१०x१३ लेखन काल सं.-१-५६ भावस्य सुदी १३ । पूर्व । बेष्टन न०१७ विशेष - चंपाराम ने प्रतिलिपि की थी। इस प्रति मे १६४ गाथायें हैं। ८. प्रति नं० ३-पत्र संख्या-१६ । सान-१२४४३ इव । लेखचकाल x ३ पूर्ण र वेटन नं. १ | विशेष-गाथाओं की संख्या-१६१ है । ६. प्रति नं.४-पत्र संख्या-१३ । साइज-१४४३ इव । लेखनकाल सं० १३.६ प्रयाद सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन नं. १६ | इसमें १६१ गाथा हैं। विशेष- संस्मन में कहीं २ टिप्पग्ण दिया हुआ है । लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है-सं. १६४६ वर्षे प्राषाट मासे शुलपक्ष प्रतिपदा तिम्रो भोमवासरे श्रीमूलरांचे नंघानाये वलात्कारनये सरस्वतीगच् कुन्दकुन्दाचार्यान्वये पाचायं भुवनकीर्तिदेवा तत् शिष्यणी या० मुक्तिश्री तत् शिप्या श्रा० कार्तिी पठनार्य । कल्याणमस्तु । अमरसरमध्ये सध्यश्री मजाजी । १०. प्रति नं.५-पत्र सख्या-४४ । साइन-५:४ । लेखनकाल सं.-१८११ मादवा मुदी १३ । पूर्ण । श्रेष्ठन नं. ५६। विशेष-हरचन्द ने प्रतिलिपि को थी । ग्रंथ गुटका साइज में है। १६१ गाथायें हैं। ११. प्रति नं. ६–पत्र संख्या-११ | साज-१.३४६ च । लेखनकाल-X ! पूर्ण । वेष्टन नं ७ ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy