SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुट के एवं संग्रह प्रन्ध] [२६६ अन्तिम पाठ-.-धनी सो सरता चौत दे सन, अरण वीचार प्रेम गुनमन । धनी सोही देस धनी सोही गांव, नीस दिन कथा कृष्ण को नाव । उषा श्री भागोत पुराना, सहजही दुज दीजे दाना || छुछ मसक पवन भर सोही, कृप्य भगति विना अवस्था देही । रामदास कथा फियो पुराना, पढत गुणत गंगा असनाना ।। दोहा--द मदन यो होय फल, तो पातु दल पान । ईविध हर पूजहीं, कथे हो पुत्र को लाण ।। पति श्री हरिचरित्रपद सभी श्रसकंद श्री भागोतपुराणे ऊषा कपा वरणनो नाम संपत दसो थध्याय ।। १७|| ॥ इति श्री उषाकश्या सपूर्ण समाता । ५२०. गुटका नं०१८-पत्र संख्या-१३२ । साइज-8x६ इञ्च । माषा--हिन्दी । लेखन काल-सं० १७६७ फागुन बुदी । पूर्ण। विशेष--कषि बालक कृत सीता चरित्र है। ५२१. गुटका नं. १६ - पत्र संख्या-१३१ 1 पाइज-Ex६ च । माषा-हिन्दी । लेखन काल-X1 अवर्ण। विशेष-नंददास कृत मागवत्त महा पुराध भाषा हैं । केवल ६१ पत्र है । ५२२, गुटका नं०२०-पत्र संख्या-३ से ३२ | साइज--१x६ इन्च । भाषा-हिन्दी 1 लेखन काल-x। अपूर्ण । विशेष-हितोपदेश कथा भाषा गध में है.1 रचना नवीन प्रतीत होती है भाषा प्रच्छी है आदि शंत माग नहीं है। ५२३. गुटका नं० २१-पत्र संख्या-१३६ । साइज-4x६ इन | भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x। अपूर्ण। विशेष-हिन्दी गद्य में राम कथा दी हुई है। प्रति प्रशुद्ध है। ५२४. गुटका नं० २२–पत्र संख्या-२८ | साइज-६x६ इश्व ! भाषा-संस्कृत हिन्दी । लेखन कालसं. १८१५ | पूर्ण । विशेष-५० नकुल विरचित शालि होत्र हैं। संस्कृत से हिन्दी पथ में भी अर्थ दिया हुआ है। ५२५. गुटका नं०२३-पत्र संख्या-१० 1 साइज--१x१३ इञ्च | माषा-हिन्दी । लेखन काल-x1 अपूर्ण। अपूर्ण ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy