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________________ विषय-स्तोत्र ३६६. पा -पूज्यपाद ! ५१ संभ:: - : A ME रमना काल-x। लेखन काल-X । पूर्गा । न । | माषा-संरकत ! विषय-स्तोत्र । विशेष-अधर्मसागर के शिभ्य पं० केशव ने प्रतिलिपि की थी। प्रति संतत टीका सहित है। ३६७. एकीभावस्तोत्रभाषा-भूवरदाप्त । पत्र संख्या-- । साज-७३४४६ इभ । भाषा-हिदी । विषय-स्तोत्र । (चना काल-X । लेखन काल-X | पूई । वेष्टन ने० १२५ । ३६८. एकीभावस्तात्र-वादिराज | पत्र संख्या' । साइज-xv५५ । भाषा-संत । विषमलोत्र । ( 11 काल-X । लेखन काल-सं० १५३३ शाल दी । पूर्ण । न ६८ । विशेष- प्रतिया यौर है । जिसमें एक प्रति टीका सहित है। ३६६. कल्याणमन्दिरस्तोत्र-कुमुदचन्द्र । पत्र संस्था-१ | साज-१-४४ इन। भाषा-संस्कत । विषय-तात्र | सना काल-x। लम्रन काल-स. १६.६४ पूर्व । वेष्टन नं. ३ विशेष-रक्त में टिपण दिया हुआ है । तया अन्य कर्ता का नाम सिद्धसेन दिवाकर दिया हुआ है। प्राय समद स में प्रतिलिपि की भी । निन्न श्लोक टीका के अंत में दिया हुआ है। मालवास्प महादेशे सारंगपुरपत्तने । स्वावस्यायों को नव्या छात्राय उत्तमविधा विशत्र- प्रतियां और हैं जो केवल मुलगाव है। ४१. कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाषा--बनारसीदास । पत्र संख्या: । साअ - ११३x ** | Miहिन्दी । विषय-स्नान। रचना काल- लेखन काल-xपूर्ण । पटन ०१०१) विशेष - इसके अतिरिक्त पार्श्वनाम स्तोत्र भी है। १०१. कुबेरस्तोत्र"....."। पत्र संख्या-१ | साज-१३१४६६ च | मामा-रात । पिपताच । मना काल--- लेखन काल-सं० १६१४ वैशास्त्र सुदी १० । पूर्ण । बटम नं. । । ५०२. चैत्यवरना ......... पत्र संख्या--- । साइज-७४३म । माता-ति । पिन रचना काल-x | लेखन काल- । पूर्ण । बोन नं. ६८ । विशेष—इसके अतिरिक महावीराक (संस्कृत) भी हैं ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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