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________________ कथा एवं रासा साहित्य ] [हिन्दी] ० २९३ । विशेष माननीय जी ने प्रतिनिधि कराई थी। कुछ ३० कथाएं हैं। एक प्रति और है। ३२. मदनमंजरीकथा प्रबन्ध - पोपटशाह | पत्र संख्या - २५ | साइज - १०१४४३ -कथा रचना काल मंगसिर सुदी १० लेखन काल सं० १७०६ भाषाट सुदी १० - ३२६. मुक्तावत्रितकथा-खुशालचंद पत्र संख्या-सा ०१००२ - पूर्व बेटन नं० ११६ । ३३० मेघकुमार गीत-फनककीर्तिप२-१०४ हिन्दी कमः। रचना काल X लेखन बाल- पूर्व वेष्टन नं० ४४० । विशेष प्रति प्राचीन है: -४६ प हैं। श्री वीर जिनंद पसा जे मेघकुमार स्थि गा ताही यागली वीनस बीजाइ, बसी संपति सगली पाह || ४६ || धन धन जे नीवर मेणकुमार, जीपी चारित पालअसार । गुरू श्री माणीक सोस, हम कनक बागाय नीस दीस ॥ ॥ इति मेघकुमार गीत संपूर्ण ॥ ३३१. राजुल पचीसी-लालचंद विनोदीलाल पत्र संस्था (१) विषय-कथा रचना काल X १७६६ पूर्ण - पेन नं० १६४ ॥ ' '३३२. रैवत कथा - देवेन्द्रकीत्ति पत्र संख्या-४ -११४५ | भाषा-संस्कृ कथा | रचना काल -X | लेखन काल - X1 पून ७२ ३३३. रोहिणी व्रत कथा - भानुकीर्ति । पत्र संख्या -४ | साइज - ११४५३ एकमा रचना काल लेखन - पूर्ण वेशन नं० ४२५ | प्रारम्भ || सहज १०४इन 1 मंत्रा विशेष एक पति और है । चाकसू का विस्तृत वर्णन हैं । पद्म संख्या २६ १ हैं । I २२४. कचोर कथा (धनदत्त सेठ की कथा ) - नथमल पत्र संख्या १४-१ माश-हिन्दी पत्रिका रचनाकाल १७२४ वादी २ ले पूर्ण —श्रीपाईप्रथम पंच पीसार तिहू सुमरत पात्रे भवपार | दूजा सारद बिस्तरू । बुद्धि प्रकास कवित उचरू ॥ गुरु नियर्थं नमू जगदीस | संख्या तीस सहसचीबख ॥ वाणीति कड़े अनसार गत भन्न जिय उतरे पार || [ २२७ ] भाषापूर्ण वेश्न इक्ष | भाग-संस्कृत ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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