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अन्य एवं चरित्र ]
[७४ विशेष-८ पेज तक टीका दे रखी हैं।
५१०. यशोधरचरित्र-सोमकीर्ति । पत्र संख्या-१७ । साइज-११४४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । रचना काल-x | लेखन काल-x | य पूर्ण । वेष्टन नं० २४२ ।
विशेष-१७ से धागे पत्र नहीं हैं।
५११. यशोधरचरित्र-ज्ञानकीर्ति । पत्र संख्या-६५ । साइज-१४४५ इठच । माषा-संस्कृत । चिय-चरित्र । रचना कास्त्र-स. १६५६ माघ सुदी १ । लेखन काल-सं० १६६४ वैशास्त्र बुदी ३ । पूर्ण । वेटन नं० २४१
विशेष-~-महाराजा मानसिंहजी के शासन काल में मौजमाबाद में प्रतिलिपि हुई थी।
५१२. यशोधरचरित्र-वासबसेन । पत्र संख्या-२-३५ | साइज-१५६४५५ रञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-परिव । रचना काल-४ । लेखन काल-सं० १७५६ भादवा मुदी १ । पूर्ण । वेष्टन न० २४० ।
विशेष प्रथम पत्र नहीं है । पं. पेमराज ने प्रतिलिपि की यो।
५१३. यशोधरचरित्र-भ सकल कीर्ति । पत्र संख्या-६४ । साज-१२४५ मापा-ted | वित्रश्य-चरित्र । रचना काल-X । लेखन काल-x । पूर्ण । बटन न० २३६ ।
विशेष-वार प्रतियां और हैं।
५१४. यशोधरचरित्र-परिहानन्द । पत्र संस्था-३४ 1 साइज-११x६१ प्रश्न ! भाषा-हिन्दी (पथ) । विश्य -चरित्र । रचना काल-सं. १६७० | लेखन कास- १८३: । पूर्ण । वेष्टन • ६१८ ।
विशेष-श्रादि अत भाग निम्न प्रकार हैशरम्भ-मुसर देव परहंत महत्त, मुग्न अति अगम नहै को अनु !
नाकै माया मोह न मान, लोकालोक प्रकासक शान ।। जाकै राग न मोह च खेद, रित्रिपति रंक व जाके भेछ । राधे हष न विरचे चक्कु, समरत नाम हरै अव चक्क । अलख अगोचर प्रतुक ग्रंतु, मंगलधारि मुकति को कन्तु । युग्ध पारिध मो रसन! एक, अलप पुद्धि पर तुछ विवेक । T कर जोडि नऊ सरस्वतो, बटें बुद्धि उपजै शुभ मती । जिन वानी मानी जिन आनि, तिनकौ पचन चन्यो परधान ॥ विबुध विहंगम नत्र वन बारि, कवि कुल केलि सरोवर मार । भत्र सागर तू तारन भान, कुनय कुरंग सिंघनी भाव ।। वे नर सुन्दर ते नर वली, जिनका पुहसि क्या बड्ड चली ।