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________________ इस बात की खबर उधर महाराज को और इधर रानी लक्ष्मीदेवी को भी दी गयी। खबर सुनने के बाद रानी लक्ष्मीदेवी चिन्ता में पड़ गयी। वह तरह-तरह से सोचने लगी. हत्यारों ने बताया कि अंत की उँगली से नाली का पास जैसे ? अब वह अंगूठी राजधानी के राजमहल में वित्तसचिव मादिराज के पास है। इसका क्या अर्थ लगाया जाएगा, भगवान् ही जाने कोई कुछ भी सोचे, चिन्ता नहीं, पर सन्निधान मुझसे यदि सवाल करें तो मैं क्या जवाब दूँगी ? यही कहना होगा कि मुझपर कलंक लगाने के उद्देश्य से किसी ने मुद्दला के द्वारा चोरी करवायी है, या दासियों द्वारा चोरी करवाकर उसके हाथ में देकर हत्या करायी है।... या यदि मेरे पिता ने ही यह काम कराया हो तो ?... कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इस तरह घबराहट के कारण तरहतरह के विचार उसके दिमाग में आते-जाते रहे। पिता की याद आते ही उसने बुलवा भेजा । उसके आते ही वह बोल उठी, "पिताजी, आपने ऐसा काम करके मेरे नाम पर कलंक लगा दिया है । " H 'मैंने क्या किया बेटी ? मेरे हृदय में तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के कल्याण के अलावा दूसरी कोई बात आ सकती है, लक्ष्मी ? ऐसी दशा में तुम्हारे नाम पर कलंक लगे, ऐसा कोई काम कर सकता हूँ, तुम ही बताओ ?" "मेरी नामांकित अंगूठी मुद्दला के पास कैसे गयी ? क्यों गयी ?" " तुम्हारी अँगूठी तो तुम्हारे ही पास होनी चाहिए। किसी दूसरे के पास कैसे जा सकती है ? क्या वह तुम्हारे पास नहीं है ?" 11 'मैंने देखा नहीं।" " पहले देख तो लो । " लक्ष्मीदेवी ने अपने जेवरों में ढूँढ़ा। उनमें अँगूठी मिल गयी। बोली, "मेरी अँगूठी तो यह है। ठीक।" उँगली में पहनकर पूछा, "तो उन लोगों के पास मेरे नाम की जो अँगूठी है, उसके क्या माने ?" 44 'उनके पास माने ? किनके पास ?" लक्ष्मीदेवी ने राजधानी से जो समाचार मिला था, उसका ब्यौरा सुनाया। " तब तो इसमें कुछ धोखा हैं। तुम्हारे और मेरे शत्रुओं ने यह अंगूठी तैयार करवायी है। अब वह अँगूठी कहाँ है ?" 44 वित्त सचिव मादिराज के पास " "ऐसा ? उसे वहीं क्यों होना चाहिए ? तुम्हारे नाम की अँगूठी तुम्हारे पास होनी चाहिए।" "परन्तु वह नकली है न?" H 'हो सकता है। पर कौन नकली है, कौन असली, इसका पता लगे कैसे? हमें पट्टमहादेवी शान्तला भाग चार: 431
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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