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________________ नहीं, बोलो।" "हाँ, वह तो बहुत पहले... मगर यह बताएँ कि आप हैं कौन ?" 44 'वह अभी तुम्हारे लिए जरूरी नहीं। तुम पोय्सल राज्य को छोड़कर चले गये थेन ?" H 'चला गया था, लेकिन फिर आ गया। " थी ?" 'क्यों ?" +4 'पेट का तकाजा । धन्धा करने। " 'अगस्त्य पात्रधारी पर पत्थर मारने से तुम्हारी गुजर हो जाएगी ?" 'जी हाँ ।" 44 " + "कैसे?" "जिनके लिए मैंने यह काम किया वहाँ से।" " वह अगस्त्य वेशधारी कौन है ?" "यहीं, तलकाडु का हैं वह ।" क्या नाम है?" 44 'नाम क्यों जानना चाहते हैं ?" "यह बाद में मालूम होगा, बताओ।" "देशिकन हैं उसका नाम ।" "तो क्या वह श्रीवैष्णव है ?" 11 "जी हाँ। " उस पर इस तरह आक्रमण करने के लिए किसने कहा था ?" 14 'यह काम करने के लिए कहला भेजनेवाले का नाम मुझे मालूम नहीं ।" Id 'जिसका तुम नाम तक नहीं जानते हो, उसके लिए भी काम कर सकते हो ?' " पैसा जो मिलता है !" 44 'अब यदि तुमको पैसा न मिले तो ?" 46 SP 'आधा जो मिल गया, वही मुनाफा समझ लूंगा।' "पैसा किसने दिया तुमकी ?" "मुझे उसका भी नाम मालूम नहीं। वह नाटक देखने आया था।" "कहाँ बैठा था ?" "मैं और वह जहाँ चर्चा कर रहे थे न, वहाँ ।" 41 'ओफ, तो वह चर्चा लोगों का ध्यान दूसरी ओर आकर्षित करने के लिए "हाँ ।" "अभी भी तुम्हें श्रीवैष्णवों से द्वेष है ?" 300 :: पट्टमहादेवी शान्तला भाग चार :
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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