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________________ भायण ने नौकराना और विनयादित्य की ओर देखा । कुछ वाला नहीं । 14 'समझ गयी, मन्त्रणागार में चलेंगे। सुना कि आज चट्टला राजमहल में नहीं आयी. क्या बात है ?" शान्तलदेवी ने पूछा। तब भी मायण ने नौकरानी और विनयादित्य की ओर देखा, कुछ बोला नहीं। शान्तलदेवी ने बेटे की ओर देखकर पूछा, "विनय, क्या कुछ और पूछना है ?" उसने सिर हिलाकर बताया, "नहीं।" "ठीक, तो तुम अपना अभ्यास करने जाओ।" कहकर धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई मायण से बोली, "आओ मायण !" नौकरानी दौड़कर गयी और मन्त्रणागार का दरवाजा खोला। शान्तलदेवी और उनके पीछे मायण, दोनों अन्दर गये। शान्तलदेवी ने नौकरानी को आदेश दिया, "जब तक हम न बुलाएँ, तब तक बाहर ही रहो।" फिर जाकर अपने आसन पर बैठ गयीं। मायण खड़ा रहा । दरवाजे को बन्द हुआ देखकर शान्तलदेवी ने कहा, "बैठो मायण !" माचण बैठ गया और पट्टमहादेवी की ओर देखता रहा । "चुप क्यों बैठे हो ? क्यों मिलना चाहा था ?" माण थूक निगलता हुआ बोला, "गुप्तचर आये थे।" कहते-कहते रुक गया। "गुप्तचर आज पहली ही बार नहीं आये न?" "सच है । परन्तु वे जो समाचार लाये... " "तुम योद्धा हो । युद्ध की खबर से तुमको घबराना नहीं चाहिए। क्या हैं, कहो ।" " पट्टमहादेवी की हत्या करने का षड्यन्त्र... यह सुन शान्तलदेवी जोर से हँस पड़ी। मायण ने पट्टमहादेवी से इस तरह की प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की थी। वह कुछ हतप्रभ-सा हो गया। कुछ क्षण मौन ही गुजरे। H फिर शान्तलदेवी ने कहा, "मायण, तुम इन सब बातों पर विश्वास करोगे ? क्यों हत्या करेंगे ? क्रोध हो तो हत्या करेंगे। प्रेम भाव एवं बन्धुत्व से लोगों की एकता बनाये रखने का ध्येय बनाकर अपने जीवन को जब मैंने वैसा हाल लिया है। कभी किसी को क्रुद्ध करने वाला व्यवहार नहीं करती, तो ऐसी हालत में हत्या करने का षड्यन्त्र हो रहा है, यह कहो तो मैं विश्वास कैसे करूँ, मायण ? लोगों के अँगूठे काटकर उनकी माला बनाकर पहननेवाले, दुष्ट शक्तियों को वशीभूत कर लोगों में भय पैदा करनेवाले अंगुलिमान को भी दया और करुणा से महात्मा बुद्धदेव ने परिवर्तित नहीं किया था ? रहने दो, बात क्या है, बताओ। चट्टला कहाँ है ?" +4 'इस षड्यन्त्र के पीछे क्या है, वह और चाविमय्या दोनों इसे पूरी तौर से 286 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार ... ....
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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