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________________ सुना है। भरी गगरी हैं। वह छलकेगी नहीं। और दूसरी ओर, यह छोटा लड़का बकवास कर रहा है... मुझे ही पाठ सिखाने चला है। अपना काम देखने को कहता है ।" क्रोधपूर्ण दृष्टि से लड़के की ओर देखकर वहीं किसी आसन पर स्वयं बैठ गया । 44 'अच्छा! इस बात पर विचार करेंगे। यौवन के उत्साह में दो-एक बातें बच्चे कह जाते हैं, हमें उन्हें क्षमा कर देना चाहिए। आओ बेटा, तुम भी बैठो। आप दोनों को इस शिविर से किसी तरह के मनमुटाव के बिना खुशी से जाना चाहिए। क्या हुआ ?" "उन्हीं से पूछ लीजिए !" युवक ने संकोच भाव से खड़े-खड़े ही कहा। "तुम ही कहो, यदि वह ठीक न हो, तो मैं बता दूँगा।" तिरुवरंगदास ने कहा । युवक ने तिरुवरंगदास के वहाँ आने के बाद से जो कुछ बातें हुई उनको ज्यों-का-त्यों बता दिया और कहा, "मुझे सत्यकाम कहकर प्रौढ़ होकर व्यंग्य कर सकते हैं ? गाली दें, मारें; थूकें, मैं सह लूँगा । परम पवित्र माता-पिता के सम्बन्ध में य अपमानजनक बातें... कैसे सह्य हों ? आप ही बताइए!" युवक के चेहरे पर खिन्नता का भाव था। "वह कौन, उसका नाम-धाम, माँ-बाप आदि को न बतानेवाले इस भिखमंगे को कौन-सा गरि देना चाहिए था?-ए कितना आगमशास्त्र जानना चाहिए, इन सब बातों को इस छोकरे से सीखना होगा ? श्री आचार्यजी के शिष्य बनना हो तो मूलतः कुछ विशिष्ट योग्यताएँ होनी चाहिए, यह भी यह लड़का नहीं जानता। यौवन की चंचलता के सामने हम बुजुर्ग झुकेंगे तो ये छोकरे हमें वैसे ही निगल जाएँगे। इनका सुधार बहुत आवश्यक है।" " इस तरह काटेंगे तो और अंकुर निकलेंगे, महाराज । ज्ञान द्वारा ही उन्हें प्रभुद्ध करना होगा। तब ये स्वयं इस प्रवृत्ति को छोड़ देंगे। अच्छा जाने दीजिए! आप भोजन कर आये ?" "नहीं! सुबह स्नान और नित्यकर्म आदि से छुट्टी पाकर बेटी को देखकर कुशल- समाचार पूछकर मन्दिर दर्शन के लिए इस ओर चला आया तो इस भव्यता को देखते-देखते मुग्ध होकर यहीं रह गया।" "बहुत देर हो गयी। पहले आप भोजन कर आएँ।" स्थपति ने बातचीत वहीं समाप्त कर दी। " अरे बच्चे, तुम्हारा भोजन न हुआ हो तो आओ, मेरे ही निवास पर कर लो । कहा कि कहीं से आये हो।" तिरुवरंगदास ने जाते हुए कहा 1 "मैं कर चुका हूँ।" युवक ने उत्तर दिया। तिरुवरंगदास चला गया । पट्टमहादेवी शान्तला भाग तीन : 451
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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