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________________ "इनमें जीवित कितनी हैं ?" "सभी जीवित हैं।" "इतने विवाहों का परिणाम ?" ।। 'मनः क्लेश । " "किसे ?" 'सम्बन्धित सभी के लिए।" 'आपकी इस बात का आधार ?" "जीवन का अनुभव।" "मैंने ज्योतिष का आधार जानना चाहा । " "जीवन के अनुभव को छोड़कर ज्योतिष है कहाँ ?" " तात्पर्य ?" " 41 "उस शास्त्र के सूत्रों की रचना ही अनुभवजन्य विषयों के आधार पर हुई। " "तो कभी-कभी फल का निर्णय दोषपूर्ण भी हो सकता है न ?" " हो सकता है। परन्तु ऐसा प्रसंग विरला ही होता है। हजारों में एक-आध ही ।" "जिसके बारे में हम सोच रहे हैं वही उन हजारों में एक हो तो?" " अर्थात् मैंने जो कुछ कहा वह सन्निधान को विश्वसनीय नहीं लगा। वास्तव में मैं ज्योतिषी नहीं हूँ । सन्निधान भी इस शास्त्र से परिचित हैं। इसलिए अब तक जो बातचीत हुई उसे केवल विचार विनिमय मात्र मान सकती हैं। कौन-सी बात सही नहीं हुई है, सो बताने पर फिर गुनकर बताया जा सकता है।" "मैं आपकी परीक्षा नहीं कर रही हूँ। यो हो सहज पूछ लिया। आपने भी सहज ही उत्तर दिया । " "यह जन्मकुण्डली किसकी है?" "केवल कल्पना है। अब एक जानी-पहचानी जन्मपत्री पर विचार करेंगे। कर्काटक लग्न, लग्नाधिप लाभ में उच्च है। तीसरे में शनि, सप्तम में कुछ उच्च, नीच गुरु, अष्टम में रवि, शुक्र । भाग्यस्थान में बुध नीच कर्म सुख स्थान में राहु-केतु । इस कुण्डली का फल बता सकेंगे ?" 1 " इस जन्म-पत्र के अनुसार जातक को चार तगड़े राजयोग हैं। बहुत कीर्तिशाली होकर प्रगति पाने का योग इस जातक को है। परन्तु माता-पिता को खोकर दूसरों के आश्रय में पलकर बढ़ने का योग है... तो यह जन्मपत्री दण्डनायक बिट्टियण्णा की है ?" "हाँ, अब आपने जो बताया उसका क्या आधार हैं ?" "मोटे तौर से कुज, चन्द्र, शनि- इनका आपस में कोनों में रहना, मातृस्थानाधिपति पट्टमहादेवो शान्तला भाग तीन 379
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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