SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 351
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ''तुम्हारे विवाह के समय भी मैं यही बात कह सकती थी।" "वह मेरा भाग्य है।'' "ऐसा समझने के लिए. तुम्हें अधिकार मात्र की चाह नहीं, यह तुमने अपनी उदारता से प्रमाणित कर दिया है। नहीं तो क्या राजलदेवी रानी बन सकती थी?" "मेरे और राजलदेवी के जीवन की रीति ही एक तरह के विचित्र मेल से जुड़ी है। उसके हित को छोड़कर मैं कुछ भी नहीं सोचती, न सोच ही सकती "ऐसा है, तो सन्निधान का हित ही हमारा हित है---ऐसा सोचने में भला गलत क्या है?" "सो तो ठीक है। आप अब अपनी सन्तान द्वारा अपने दाम्पत्य जीवन में एक परिपूर्णता पा चुकी हैं। परन्तु मैं और राजलदेवी इस विषय में अभी भी अपूर्ण हैं। इस स्थिति में..." बम्मलदेवी कहते-कहते रुक गयी। ___ "इस विवाह को मना करने का स्वातन्त्र्य तुमको भी था न? खुलेपन से कह सकती थी न?" ___ "आपकी स्वीकृति पर भी मैं अस्वीकार करती तो मुझे निकृष्ट दृष्टि से देखें जाने की सम्भावना थी इसलिए नहीं कहा।" "इस तरह की आत्मवंचना करने से सुख नहीं मिलता। अब भी समय है। सन्निधान से अपने अन्तरंग की बात कह सकती हो।" "उनके समक्ष स्वीकार कर अब विरोध करें?" "इस तरह हम अपने को विषम स्थिति में डालकर घुलते रहें...?" "अब आगे...?" "जिसे स्वीकार कर लिया उसके अनुसार अपने जीवन को बना लेना। नहीं तो राजलदेवी के आने पर उनसे विचार-विनिमय करके आगे का कार्यक्रम निश्चित करना।" शान्तलदेवी ने कहा। बात यहाँ तक आकर रुक गयी। थोड़ी देर मौन रहा। बाहर से घण्टी की ध्वनि सुन पड़ी। बम्मलदेवी ते द्वार खोला। देखा कि राजलदेवी और उदयादित्य द्वार पर खड़े हैं। मुस्कुराते हुए उसने दोनों का स्वागत किया। "सन्निधान को हमारे आने की सूचना दी जा चुकी है। आप दोनों के यहाँ होने की बात मालूम हुई तो सीधे यहीं चले आये।'' उदयादित्य ने नम्रता से कहा। "अच्छा हुआ। हाथ-मुँह धो-धाकर वस्त्र बदलकर आ जाइए। सब एक साथ अल्पाहर करेंगे।" शान्तलदेवी ने कहा। दोनों जाकर शीघ्र ही लौट आये। पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन :: 353
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy