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________________ कर, आवश्यक सैन्य को वहीं रखकर गंगराज, पुनीसमय्या, उदयादित्य आदि के साथ बिट्टिदेव ने वेलापुरी की ओर यात्रा की। विजयमाला पहनने की सूचना वेलापुरी को पहुँचायी गयी थी। साथ ही यह समाचार भी दिया गया था कि चट्टला और मायण सकुशल हैं। राती राजलदेवी को बेलापुरी के आने के लिए भी सन्देश भेज दिया गया था। राज-परिवार के प्रस्थान से पूर्व ही मायण-चट्टला अन्य कुछ लोगों के साथ राजधानी की ओर जा चुके थे, वहाँ के स्वागत-समारोह की तैयारी के लिए। सुरिंगेय नागिदेवपणा को इस तलकाडुगोंड' के बारे में सारी सूचना यादवपुरी पहुँचायी जा चुकी थी। उन्होंने यह समाचार यतिराज रामानुज के पास पहुंचा दिया । यतिराज को बेलापुरी के नारायण मन्दिर-निर्माण की बात पहले ही पता चल गयी थी। उसके साथ तलकाडु के कीर्तिनारायण मन्दिर के निर्माण का समाचार सुनकर वे पुलकित हो गये। वेलापुरी के भगवान को विजयनारायण के नाम से स्थापित करने की सलाह भी दी। अपने हाथ से छूटकर भागनेवाले शिल्पी द्वारा अपने ऊपर जिम्मेदारी लेकर मन्दिर निर्माण करते रहने की बात सुन के तप्त भी हो गये थे। उन्होंने भगवान् से प्रार्थना की, "हे भगवन्! 'बिट्टिदेव विष्णुवर्धन बने, वह मुहूर्त जब वे विष्णुवर्धन बने, बहुत ही शुभ मुहूर्त रहा होगा। इसलिए - उन्हें विजय पर विजय प्राप्त हो रही है। हमारे भगवान् के लिए एक के बाद एक मन्दिर बनता जा रहा है। लक्ष्मीनारायण, कीर्तिनारायण, विजयनारायण...अब वीरनारायण, चलुवनारायण की स्थापना करने के लिए सहायता दो, भगवन् ।' कहकर हाथ जोड़कर भगवान् को प्रणाम किया। धण्टियों की मधुर ध्वनि चारों ओर फैल गयी। उधर जब तलकाडु में युद्ध चल रहा था, तब इधर वेलापुरी में मन्दिर का कार्य तेजी से चलने लगा था। पौराणिक कथा-गाथाओं को निरूपित करनेवाली शिल्पमूर्तियों की कतारें समाप्त कर उन्हें दीवारों में चुन दिया गया था; उनके ऊपर अन्दर आलोक-प्रसारण होने की दृष्टि से चित्रमय वातायन लगा दिये गये। इन वातायनों के बीच चढ़ाव से सज्जित चित्र तैयार कर दिये गये। बीच-बीच में राष्ट्र के आराध्य देवी-देवताओं के भिन्न-भिन्न रूपों की मूर्तियाँ सजाकर उन्हें मण्डपों में स्थापित किया जा चुका था। इन सबको पत्थर की बनी छावनी तक सरल रीति 300 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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