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________________ बहुत बड़ी सेना देखी। कम-से-कम उसमें आधी तो समाप्त हो। वे कदम पीछे हटाएँगे नहीं। उन्हें दो-तीन दिन में समाप्त करना हो तो हमें कम-से-कम एक पखवारे तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।" "इतने दिन चाहिए? आपने तो कहा कि आपकी सेना बहुत बड़ी है।" "वह अभी तक आयी नहीं। हमारे राजा ने दस सहस्र सेना भेजी है। यहाँ आने में उस सेना को दस दिन लगेंगे। यहाँ जो है वह तो बराबर लड़ते रहने के लिए ही।" "ऐसा है ! हमें क्या पता यह सब ! आप भी तलवार लेकर युद्ध में जाएँगे?" "क्यों? "किसी ने कहा था 'प्रत बिगड़े तो कम-से-कम सुख तो मिलना चाहिए।' युद्ध में कैसे क्या होगा। बाद को कुछ-का-कुछ हो जाय तो, मेरा क्या होगा?" "हम युद्ध में आगे नहीं रहेंगे। हमने वेतन देकर जो सेना रखी है, वह किसलिए है ? हम पीछे रहकर आदेश देंगे। वे आगे मारेंगे, नहीं तो मरेंगे। हम तो सुरक्षित हैं।" "ऐसा होता है क्या? मुझे तो पता ही नहीं था यह सब। युद्ध में राजा जीता करते हैं; मैं समझती थी कि राजा ही आगे रहेंगे।" "वह तो उस डींग हाँकनेवाले की रौति है। हमारे महाराज अब यहाँ आएंगे थोड़े ही। वे राजधानी से ही आज्ञा भेज देंगे। हम पीछे रहकर आदेश देंगे।" "वही ठीक लगता है। यों ही प्राण गंवाने के लिए कोई क्यों जावे; तो आप पर विश्वास कर लूँ? मुझे कोई कष्ट तो नहीं होगा न?" "अब भी सन्देह है?" "मेरे उस पति को भिजवा दिया न? "क्यों वह आ जाएगा तो डर होगा, क्यों?" "मुझे डर क्यों, वैसे ही पूछा।" "यदि तुम्हारे सामान में कुछ न मिला होगा तो अब तक उसे नदी पार करा दिया गया होगा। और अगर कुछ मिल गया होगा तो उसे फाड़कर किले के द्वार पर उसका तोरण बना रखेंगे। यहाँ सूचना भेज देंगे।" "तब ठीक है। निश्चिन्त हो गयी।" "क्या निश्चिन्त?" "फिर उसकी पीड़ा न रहेगी।" "केबल बातों ही बातों में समय काट रही हो न? मेरी बात मानो तो तुमको कोई कष्ट नहीं होगा। मेरे लिए और भी दूसरे काम हैं। बातें अब थोड़ी करो; चलो, तैयार हो जाओ।" पट्टमहादेवो शान्तला : भाग तीन :: 291
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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