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________________ उसे घोर नरक बना लेता है, मेरी बात को पूर्णरूप से समझने के लिए इस राजमहल में घटी घटनावली की और बल्लू के माँ-बाप की कहानी सुनना चाहोगे?'' "अब पन्द्रह साल से किसी की बात या अनुभव को सुनने की आसक्ति ही मुझमें नहीं रही। यदि ऐसा प्रसंग आया भी तो मैं उससे दूर ही रह गया। आपको ज्ञात ही है कि मैं श्रीश्री आचार्यजी के पास से भी खिसक आया। परन्तु अब सन्निधान के नेतृत्व में जब से काम करने लगा, मुझमें एक अव्यक्त परिवर्तन हो रहा है। सन्निधान जो कहती हैं उसे सुनने को जी चाहता है। कभी-कभी बात भले ही मन को लगनेवाली भी हो, पहले की तरह भागने की इच्छा नहीं होती। सन्निधान जो भी कहें सुनते रहने को जी चाहता है।" "यह परिवर्तन तो अपेक्षित ही है किन्तु हम केवल इसी कहने-सुनने में लगे रहे तो मन्दिर का काम कहीं स्थगित न हो जाय। इसलिए..." "सन्निधान ने शायद मुझे गलत समझा होगा।" "नहीं, शिल्पीजी ने मेरी बात को समझा नहीं। अच्छा, रहने दीजिए। अब आपका आना...?" "वही, सन्निधान आज दिन-भर उस ओर आयीं नहीं। न आने के लिए कोई प्रबल कारण होगा, ऐसा लगा।" "उसे जानने के लिए बल्लू का बहाना करके आये?" शिल्पी को छेड़ने की दृष्टि से शान्तलदेवी ने स्वर बदलकर पूछा। शिल्पी उठ खड़ा हुआ। "क्यों. उठ क्यों गये, बैठिए।'' शान्तलदेवी ने कहा। "भूल हुई। सन्निधान के निजी विषय में मेरे मन में इस तरह की ममता को क्यों उत्पन्न होना चाहिए था? यह दोष है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैं केवल चाकर मात्र हूँ। कार्यकर्ता को कार्य से असम्बद्ध निजी मामलों में पूछने का क्या अधिकार? कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि मुझे कुछ हो गया है। मुझे आज्ञा हो तो..." बात अधूरी ही रही। वह बैठा नहीं। "बैठने की आज्ञा दी है। भूल गये?" शान्तलदेवी के मुख पर कोई भावना लक्षित नहीं हुई। ऐसा निर्भाव मुख कभी उसने नहीं देखा था। वह यान्त्रिक ढंग से बैठ गया। शान्तलदेवी ने घण्टी बजायो। सेविका ने आकर प्रणाम किया। शान्तलदेवी ने उससे कहा, "सूचना मिली है कि स्थपतिजी ने आज अपने यहाँ ठीक से भोजन नहीं किया है। इसलिए रात के भोजन की व्यवस्या यहीं हो जानी चाहिए। जाकर पाकशाला में बता दो। दण्डनायकजी के लौटने के बाद ये दोनों एक साथ भोजन 278 :: पट्टयहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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