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________________ "हाँ, अम्माजी पता लगा सकती हैं। तुम्हें बम्मलदेवी पर जो प्रेम है...'' "माँ! २८] क्यों करती है। एक-दो बार उनकी रोःि, दृष्टि --इनको हमने पसन्द किया जरूर, परन्तु उसका यह अर्थ नहीं हैं।" "तुममें ऐसी स्थिर भावना हो तो ठीक है। राजकुमारी के मन के विचार को अम्माजी से जानकर उसके लिए एक घर बनाकर उन्हें भेज दो।" "वैसा ही होगा, माँ।" "यात्रा कब की तहरी?'' "ज्योतिषी ने अभी निश्चय नहीं किया है। उन्हें सूचित किया गया है कि इसी शक्ल पक्ष में किसी अच्छे दिन को देखकर निश्चित करें।" "कौन-कौन आनेवाले हैं ?" "हमारे साथ छः लोग होंगे। मंचि दण्डनाथ, दोनों राजकुमारियाँ, रेविमय्या, चट्टलदेवी और मायण।" "जगदल सोमनाथ पण्डित?" "सोचा है कि पण्डितजी को फिलहाल यहीं छोड़ जाएँ!" "ऐसा मत करो।" "अभी आपके लिए पण्डितजी की यहाँ उपस्थिति आवश्यक है।'' "मुझे क्या हो गया है ? अब सब ठीक है। राजमहल के वैद्य को सदा महाराज के निकट ही रहना चाहिए। महाराज चाहे महल में रहें या युद्धभूमि में उनका स्थान महाराज के साथ है। उन्हें साथ ले जाओ।" "सबकी राय है कि उन्हें थोड़े दिन यहीं छोड़ा जाय तो अच्छा। इसलिए ऐसा निर्णय किया था। अभी तो हमारी यात्रा निर्णय के अनुसार हो जाए, वहाँ पहुँचने के बाद उन्हें भी जल्दी ही बुलवा लेंगे। ठीक है न?" "मुझे जैसा जो लगा, कह दिया। फिर तुम्हारी मर्जी । महाराज के साथ पण्डित का सदा रहना ही उचित रीति है।" बात यहीं रुक गयो। मन्त्रणा हुई। फलस्वरूप शान्तलदेवी के आग्रह से महामातृश्री और सोमनाथ पण्डित दोनों ही को यादवपुरी ले चलने का निर्णय हुआ। सुमुहूर्त में यादवपुरी की ओर यात्रा शुरू हुई। सकुशल सब लोग यादवपुरो पहुँच गये। कुछ ही दिन हुए कि बड़े मरियाने दण्डनायक के स्वर्गवासी हो जाने का समाचार मिला। इस दु:खद वार्ता के साथ कुछ सन्तोष की यह बात भी सुनी कि माचण और डाकरस दण्डनाथ पिता की मृत्यु के समय उनके पास रहे। राजपरिवार के रवाना होने के दूसरे ही दिन मरियाने दण्डनायक की अस्वस्थता की खबर वेलापुरी में पहुंची, तो अपने पिता के दर्शन करने दोनों निकल पड़े थे। यह दर्शन ही अन्तिम दर्शन हुआ। अन्त्येष्टि क्रियाओं के समाप्त होने पर बहनों को साथ आने के लिए पमहादेवी शान्तला ; भाग नीन् :: 27
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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