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________________ — धारणा सच होगी तो उनकी चित्तवृत्ति बहुत ही कोमल है। एक विचित्र तरह का संकोच उनमें घर कर गया है। खासकर वे अपना परिचय देने में भी हिचकते हैं। भूलकर भी अपना परिचय मुँह से न निकले इस और उनका विशेष ध्यान रहता है। ऐसे व्यक्ति को छेड़ना नहीं चाहिए। उनका बाहरी वेश आकर्षक न दिखने पर भी जो भी उनकी आँखों में तेज देखेगा तो एक उच्च कलाकार की तेजस्विता देखे- पहचाने बिना न रहेगा। अच्छी तरह प्रकाश देनेवाली बत्ती जलकर जब कड़क बनती है तो उसका प्रकाश मन्द पड़ जाता है। उसी तरह यह जो दुःख अनुभव कर रहे हैं, उसकी वजह से तेजस्विता धूमाच्छन्न-सी हो गयी है। कल सुबह हम स्वयं पूछेंगे। समझे? अब यदि स्नान आदि करना चाहें तो उसके लिए व्यवस्था कर देना, खिला पिलाकर आराम करने की व्यवस्था कर देना । आज के राजमहल के प्रेमपूर्वक आदर-सत्कार और वहाँ के वे यान्त्रिक कार्य.. कलाप, पालकी पर सुदीर्घ यात्रा आदि के कारण, हम भी कुछ क्लान्त हैं, आराम करना चाहते हैं। हम अपना सायंकालीन पूजा-पाठ एकान्त में कर लेंगे और वैसे ही विश्रान्ति लेंगे। हमारे विश्राम में व्यर्थ का विघ्न न पड़े इसका ध्यान रखना । अच्छा, अब तुम लोग जाओ।" अच्चान पाकशाला की ओर चला गया और एम्बार उस पथिक के पास । "गुरुजी की आज्ञा है, आप स्नान आदि से निवृत्त होकर भोजन कर लें। वे थके हैं, इसलिए अब आप कल सुबह उनके दर्शन कर सकते हैं। आइए।" पथिक कुछ सोच में पड़ा था। उसने एम्बार की ओर देखा, पर एकदम उत्तर नहीं दिया। "क्यों ? क्या सोच रहे हैं ?" एम्बार ने पूछा । बटोही थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला, "स्नान हो चुका है।" "कहाँ?" एम्बार ने तुरन्त पूछा । बटोही थोड़ी देर उसी को देखता रहा, कुछ बोला नहीं। एम्बार को गुरुजी की बात याद आयी । उसे लगा कि प्रश्न नहीं पूछना चाहिए था। पर अब क्या हो सकता है, पूछ बैठा था न ? जो गलती हो गयी उसे ठीक करने के उद्देश्य से एम्बार ने कहा, "यह जानकर मुझे क्या करना है। यों वैसे ही पूछ लिया। यदि इसे ज्यादती समझें तो मुझे क्षमा कर दीजिए।" "न, न, यह कैसी बात, ऐसा कुछ नहीं!" " तब ठीक है, अब विलम्ब क्यों ? चलिए भोजनालय में चलेंगे।" 44 'क्या भोजन करना जरूरी है ?" "गुरूजी ने मुझे यही आज्ञा दी है।" पट्टमहादेवी शान्तला भाग तीन : 153
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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