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________________ विश्वास है। रुद्रव्ये! बोकणा से कह दो कि वह इन्हें पालकी में जल्दी घर पहुँचायें। दासब्बे, देखो, रुद्रव्वे के आने तक तुम यहीं रहोगी। बाद में ही अपने काम पर जाओगी, समझी?।। "जो आज्ञा।" दासचे ने सिर झुकाकर संकेत किया। वैद्यजी और रूद्रच्चे वहाँ से चले गये। शान्तलदेवी भी एक बार जक्की को ओर देखकर राजकुमारी के शयन-कक्ष की ओर चली गयीं। राजकुमारी के शयन-कक्ष में जाने के लिए. उससे लगे उसके सामनेवाले एक सोलह खम्भोंवाले विशाल बैठक-खाने से होकर जाना पड़ता था। मन्त्री सुरिंगेय नागिदेवपणा वहीं से जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाते हुए आ रहे थे, पद्रमहादेवी को उसी बैठकखाने में आते देखा तो वहीं रुक गये और उन्हें प्रणाम किया। शान्तलदेवी ने मन्त्री को देखकर कहा, "कोई नयी खबर है? ये कौन हैं जो आपके साथ हैं। कोई नये व्यक्ति मालुम पड़ते हैं।" मन्त्री के साथ के उस विनामधारी व्यक्ति ने चकित नेत्रों से शान्तलदेवी की ओर देख।। अन्तःपुर में प्रवेश करते ही वह कुछ दिङ्मूढ-सा हो गया था। परन्तु ऐसा नहीं लगता था कि वह इस बात को भूल गया कि वह मन्त्री के साथ आया है। हाँ, उसे नहीं लगा कि साधारण पहनावे से निराभरण यह सुन्दरी हो पट्टमहादेव! होगी। शान्तलदेवी के बारे में वह बहुत वर्णन सुन चुका था। इस कारण से उनके बारे में उस व्यक्ति में असीम गौरव उत्पन्न हो गया था। मन्त्री महोदय जब गम्भीर भाव से विनीत हो खड़े हो गये तो इस नामधारी को लगा कि ये ही शायद पट्टमहादेवी होंगी। यो उसका मन इसी चिन्ता में तिमिलाता रहा। उस समय उसकी दृष्टि शान्तलदेवी की ही ओर थी। हां, पट्टमहादेवीजी, ये नये हैं। मैं हो इन्हें बुला लाया। आप और सन्निधान के दर्शन के लिए।" इस बात से उस नवागन्तुक नामधारी को शंका दूर हुई। उसने आँख मूंदकर दोनों हाथ जोड़े। "बहुत अच्छा, आइए।'' कह शान्तलदेवी आगे बढ़ीं। आगे एक क्षण के लिए कुछ रुक गयीं और पूछा, "सन्निधान को आपके आने की बात मालूम है?" मन्त्री नागिदेवण्णा, जो पट्टमहादेवी के पीछे-पीछे चल रहे थे, भी कुछ स्क गये और विनीत होकर बोले, "हाँ, अन्तःपुर के सामने के बरामदे में अनुमति की प्रतीक्षा करते हुए बैठे थे. अन्दर आने की अनुज्ञा मिली तो चले आये।" पट्टमहादेदो शान्तलग : भाग सीन :: 115
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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