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________________ गलत समझते हैं।" दण्डनायिका इसी सोच में डूब गयी। फिलहाल तो उसे सामने के संकट से मुक्त होना था। एक सीमा तक वह उबर भी गयी। फिर भी कुछ यातें उसके मन को साल रही थीं। युवरानी ने बुरे लोगों को देश-निकाले का दण्ड देने के बारे में ही कहा, यह नहीं कि वामशक्ति पण्डित को देश से निकाल दिया गया है। तो इसके यह माने हुआ कि उन्हें सारी बातें मालूम नहीं। या जानते हुए भी, हमें जाने सम्बन्धित नदिन समसर, हप्पो पा इसका असर कैसा पड़ेगा और हमारी प्रतिक्रिया क्या हो सकती है, आदि को समझने के लिए शायद ऐसा किया होगा। जानते हुए भी अनजान बनकर कोई बुलवाकर बातचीत करेगा: युवराज को मालूम हो तो वे युवरानी जी से नहीं कहेंगे? जरूर जानते होंगे। इस बात को भाई से भी न कहने की बात मालिक ने कही थी न?...फिर प्रभु तक यह बात कैसे गयी? और यदि यह वात बड़े राजकुमार के कान में पड़ गयी तो न जाने क्या होगा? उन्होंने उस दिन पझला की तरफ़ मुड़कर भी नहीं देखा। इसका तो यही अर्थ हुआ कि उनको भी ये बातें मालूम हो गयी हैं। बच्चों को मालूम हो जाने पर उस हेग्गड़ती को भी खबर ही हो जाएगी। हँसनेवालों के सामने मेरी हालत फिसलकर गिरनेवाले की-सी हो गयी। हे भगवन! ऐसा सब क्यों करवाया? इन सबका परिणाम क्या होगा? मेरी आशा-आकांक्षाएँ धरी-की-धरी रह जाएँगी? कृपा करो भगवन्, कृपा करो कि मेरी बड़ी लड़की का विवाह बड़े राजकुमार से हो जाए। इसके लिए मैं मनौती मनाऊँगी। अपराध क्षमा करो। आदि-आदि बातों को सोचती हुई दण्डनायिका न जाने कब तक बैठी रही। __इतने में दडिगा ने आकर खबर दी कि हेग्गड़ती और उनकी पुत्री दर्शन करने आयी हैं। दण्डनायिका को विश्वास नहीं हुआ। बोली, "तुमने कभी उनको देखा भी है? कोई और होंगे।" "ऐसा कैसे हो सकता है: मुझे मालूम नहीं? ये ही हैं।" दडिगा बोला। "अभी वे कहाँ हैं।" "बाहर के बड़े कमरे में बैठाया है।" “आये कैसे "पालकी में।" "यहाँ लिवा लाओ और जाकर देकव्ये से कहो कि नाश्ता तैयार करे।" दडिगा वहाँ से चला गया। "चलकर आती तो क्या पैर घिस जाते? अपना बड़प्पन दिखाने पालकी में आयी है।" दण्डनायिका ने मन-ही-मन कहा। फिर भी पन की बात प्रकर न हो पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :: 7
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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