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________________ 'महामातृश्री के मन का वह भय भी क्या है?'' "भय की बात तो नहीं कह सकते, एक साधारण शंका कड़ सकते हैं।" "तब तो उनका आशय है कि असल बात फ़िलहाल हमारी जानकारी में दूर हीं रहे?'' शान्तलदेवी ने प्रश्न किया। रेविपय्या पौन रहा। "ठीक, इसीलिए तुम घुमा-फिराकर जवाब दे रहे हो।" "उचित समय पर निवेदन करूँगा।" रनिमय्या ने कहा । "ठीक है। सन्निधान के साथ में भी चल रही हूँ। वम्मलदंवी भी जाएँगी। इसलिए सुरक्षा का दायित्व अधिक है। योग्य व्यवस्था हो। तुम उस ओर ध्यान यो, अब जाती।" सलटेल नेश लिया . "चट्टलदेवी को भी साथ चलने की व्यवस्था करनी होगी न?' ''वह म्या?'' सन्निधान जिस युद्धभूमि में होंगे, वहीं रहने की उसकी प्रबल इच्छा है। महापातश्री भी उसका रहना अच्छा समझती हैं। इस तरह की सूचना भी उन्होंने दी है।" मम्मलदेवी कल ही हमारे साथ चलेंगी तो वह भी हमारे साथ चली चलेगी। कल ही हमारे साथ बम्मलदेवी न चल सकेंगी तो तुम्हें और चट्टला दोनों को उनकं साथ आना पड़ेगा।" शान्तलदेवी ने कहा। "जो आज्ञा' कह रेत्रिमय्या प्रणाम कर चला गया। बिट्टिदेव तब तक मौन बैठे रहे। अब उन्होंने शान्तलदेवी से पूछा, 'मां के मन में कौन-सी शंका उत्पन्न हुई होगी?" "जब रेविमय्या ने उचित समय पर कहने की सूचना दी है तो अभी उसके बारे में दिमाग़ खराब करने की क्या ज़रूरत है?" शान्तला ने कहा। इतने में नौकरानी सुग्गला ने आकर खबर दी कि उपाहार तैयार हैं, महामातृश्री आप दोनों की प्रतीक्षा कर रही हैं। उठकर दोनों उस ओर चले गये। उपाहार मौन में ही समाप्त हुआ। __युद्धयात्रा के लिए राजमहल में ज्योतिषी ने जो मुहूर्त ठहराया है, इस बारे में महाराज बिट्टिदेव ने महामातृत्री से कहा। साथ ही तब तक प्राप्त युद्ध-सम्बन्धी अनेक ब्यौरे भी उन्होंने बतायें। वहाँ कंवल तीन ही जन थे। बच्चे उपाहार के बाद चले गये थे। उपाहार के अनन्तर अधिक बातें बिट्टिदेव की ही हुई। उन्होंने बताया कि युद्ध की तैयारिचा सन्तोषजनक ढंग से हो रही हैं। इस सम्बन्ध में विवरण देते समय उन्होंने बम्मलादेवी की कार्य-दक्षता और श्रद्धा, लगन आदि के बारे में कुछ विस्तार से कहा। बताते समय उनकी ध्यान में कुछ उत्साह और विशेष पट्टमहादेवो शान्तला : भाग दो :: 1-15
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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