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________________ "एक छोटी बात को लेकर इतनी दूर तक सोचने की जरूरत नहीं, प्रधानजीं। देश में होनेवाली सभी यातें जैसे राजमहलवालों को मालूम होती हैं वैसे आपको भी मालूम होनी चाहिए। यह तो सामान्य विवेक की बात है।" "असली बात...?" "वहाँ के समाज के वामाचारियों को तो जानते हैं न? उनका आश्रय लेनेवाले लोग कैसे होत है?" ___गंगराज के शरीर में एक क्षण के लिए जैसे विद्युत संचार हो गया था। उन्होंने युवराज की ओर एक तरह से देखकर कहा, "जिनका दिल कमजोर होता है, जो लालची और स्वार्थी होते हैं-वे ही वामाचारियों के आश्रय में शरण पाने जाते हैं, यह अनुभव की बात है।" "इस वामाचार पर आपको सचमुच विश्वास है, प्रधामजी। "मुझे तो बिलकुल भी विश्वास नहीं, परन्तु विश्वास करनेवालों की संख्या भी कम नहीं।' "आम लोगों में ऐसी बात हो सकती हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य और उनकी इच्छाएँ बहुत सीमित होती हैं इसलिए परिणाम व्यापक नहीं होता। इसके अलावा, जीवन में सभी को सभी बातों में पूर्ण तप्ति कभी नहीं हो पाती। ऐसे लोग भी वामाचारियों का आश्रय ले सकते हैं। परन्तु जीवन में पद, प्रतिष्ठा, धन, बल, हस्ती-हँसियत-जिनके पास यह सब है, ऐसे लोग वामाचारियों की मदद क्यों चाहेंगे? इससे यही तो समझना चाहिए न, कि वे अतृप्त हैं, असन्तुष्ट हैं।" प्रमु ने जो कहा, वह सही है। परन्तु हमारे राज्य में इस तरह के भी अधिकारी हैं-यह मुझे मालूम नहीं था।'' ''यही बात है तो फिर आपके विचार से हमारे दण्डनायक जी असन्तुष्ट नहीं "उनहें किस बात की कमी है-असन्तुष्ट होने के लिए।'' ''अगर कमी न होती तो उन्होंने गत अमावस्या के दिन वामाचारी को रात के वक्त अपने यहाँ बुलवाकर सारी रात अंजन लगवाकर क्या देखा?" “ोसी बात है! मुझे यह प्रसंग मालूम ही नहीं। दर्याप्त करके जानकारी प्राप्त करूँगा। सन्निधान तक जब खबर पहुँची है तो श्रात सत्य ही होनी चाहिए।" "उनके इस बर्ताव का कारण जानकर, उन्हें किस बात का असन्तोष या भय है-इसका पता लगाना होगा। हम तक बात अगर पहुँची है तो उसके पीछे क्या परिस्थिति रही होगी, कहा नहीं जा सकता। इसलिए अभी उनको यह बात नहीं मालूम होनी चाहिए कि बात हम तक पहुँच गयी है।" कहकर प्रभु ने अपने बेटे की ओर देखा। पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दी :: 17
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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