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पहले तो यह देखना है कि यह वामशक्ति पण्डित क्या करने जा रहा है और उसका परिणाम क्या निकलेगा। भगवान जाने ! मालिक को उचित न लगने पर भी उन्होंने अभी तक यह बात भाई को नहीं बतायी हे। इसका मतलब तो यही हुआ कि उनमें भी इस अंजन के बारे में जानने का कुतुहल है। यहां तक तो ख़ैरियत है। मान लां, यदि मालिक खुद उस हेग्गई दम्पती के षड्यन्त्र को बातों को जंजन लगाकर देख लें तब तो मेरी दस भुजाएँ हो जाएँगी। वामशक्ति भी बच जाएगा। मुझे मालूम है ऐसा ही होगा। बुवराज और युवरानी आदि जिन-जिन को उस हेगड़े के परिवार पर विश्वास है उन सभी की आंखें खुल जाएँगी। फिर तो इससे मेरा गौरव बढ़ जाएगा प्रतिष्ठा बढ़ जाएगी। अमावस्या का दिन अब दूर नहीं हैं। चामध्ये का मन पता नहीं कहाँ कहाँ भटकने लगा। इस तरह सोच-विचार करने से उसका भय भी कुछ जाता रहा। वह अमावस्या के दिन की बड़ी आतुरता से प्रतीक्षा करने लगी ।
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युवराज से प्रधानजी को बुलावा आया। वह युवराज से जब मिलते तब अन्य किसी को वहाँ रहने की मनाही रहती। परन्तु अबकी बार जब वह युवराज से मिलने जाये तो युवराज के साथ कुमार बल्लाल मौजूद था। क्यों बुलवाया गया है, यह बात बल्लाल को मालूम नहीं थी। इसके पहले किसी भी सन्दर्भ में युवराज और प्रधानजी के बीच विचार-विमर्श होता था तो कुमार की उपस्थिति जरूरी नहीं होती थी। इस बार बुलाने पर उसकी कुछ कुतूहल पैदा हो गया था। वुद्धक्षेत्र में हो आने के बाद अब राजकाज के बारे में युवराज उससे भी बातचीत किया करते, इसीलिए उसने सोचा था कि राजकार्य की किसी बात पर विशेष विचार-विमर्श करेंगे। वास्तव में उसमें एक नया उत्साह भी संचरित हो रहा था। उसने निश्चय कर लिया था कि अपने वंश की कीर्ति बढ़ाने के लिए वह पूरी तत्परता से, तन-मन से लग जाएगा। गुरु नागचन्द्र का प्रभाव भी उस पर काफ़ी पड़ा था। खासकर मलेयों के साथ युद्ध करते समय युवराज उसे अपने कर्तव्यपालन व आचार-व्यवहार के बारे में विस्तार के साथ समझाया भी करते थे इन प्रेरणाओं की पृष्ठभूमि में वह नाराचन्द्र की बातों का विशेष मूल्यांकन करता था। इसके फलस्वरूप उसका व्यक्तित्व ठीक दिशा में रूपायित हो रहा था। ऐसी हालत में कुतूहल का पैदा होना आश्चर्य की बात न थी ।
“सुना कि आपकी आज्ञा हुई?" गहरा और पूरा विश्वास है। इसलिए किसी भी जटिल प्रश्न के उठने पर आपसे विचार-विमर्श करके मार्गदर्शन पाना
पट्टमहादेवी शान्तला भाग दो : 45
कुशल प्रश्न के बाद गंगराज ने पूछा "प्रधानजी : पोय्सल वंश का आप पर