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________________ न हुई होती-यों कई तरह की बातों के बारे में सोचते-विचारत महाराज वलवाल पेट के बल लेटकर पड़े रहे, पता नहीं कब उनकी नींद लग गयी। दिन के वक्त विश्राम करते ता भी जल्दी उठ जाने की आदत थी बल्लाल की। आमतौर पर भाई-बन्धु दोपहर के बाद सन्निधान के मन्त्रणामार के मुख-मण्डप में बैटकर कार्यक्रमों के बारे में विचार-विमर्श करते; यही उनकी तति थी। इसी क्रम में विट्टिदेव और उदयादित्य समय पर आये और सन्निधान की प्रतीक्षा में बैठे रहे। बहुत देर तक प्रतीक्षा की, फिर भी न आये तो सोचा कि सन्निधान रनिवास गये होंगे इसी शंका से यहाँ के नौकर से पूछा। ___ "भोजनान्तर सन्निधान पट्टमहादेवी के प्रकोष्ठ में तो गये, पर वहाँ से जल्दी ही लौट पड़े। और अपने प्रकोष्ट में जाते हुए आदेश दिया कि जब तक हम स्वयं नहीं बुलाएँ तब तक किसी की अन्दर न जाने दें। नौकर ने सूचित किया। तुरन्त बिट्टेिदेव उदादित्य के साथ महाराज के प्रकोष्ठ की ओर गये। किवाड़ यों ही सरका दिया था। सोचा शायद अन्दर से वन्द हो। किवाड़ को कुछ ढकेला, किवाड़ खुल गया। अन्दर झोंककर देखा। महाराज पेट के बल लेटे पड़े थे। उदयादित्य को इशारे से बलाया, दोनों अन्दर गये। बल्लान का दायों हाथ पलंग से बाहर नरक रहा था। यह सोचकर कि ऐसी गहरी नींद शायट बहुत थके होने के कारण लग गयी होगी, उस लटकं हाघ को धीरे-से उठाने के विचार से उसे पकड़ा, तो देखते क्या हैं कि हाथ आग की तरह जल रहा है। उन्होंने कहा, “उदय, शीध्र चारुकीर्ति पण्डितजी को खबर कर दो, जल्दी बलासो। भाताजी को भी बता दी। सन्निधान का बदन आग की तरह तप रहा उदयादित्य ने पण्डित के वहाँ नौकर दौड़ाया। वह स्वयं माँ के पास गया और उन्हें ख़बर दी। में भी तुरन्त इसके साथ वहाँ आ गयीं। __इतने में बल्लाल जग गये थे। आँखें लाल हो गयी थीं, चेहरा चिपचिपा हो गया था। आते ही एचलदेवी ने बल्लाल का माथा कर देखा। "कब में छोटे अप्पाजी...?'' उन्होंने पूछा। भाजन के वक्त तो स्वस्थ ही थे। सुना कि थोड़ी देर पटरानी जी के यहाँ रहे. फिर आकर लेट गये। हम रोज की तरह वहाँ आये, प्रतीक्षा की; बहुत देर प्रतीक्षा करने पर भी ये जब नहीं आये तो स्वयं चले आये। देखा, नींद में थे। शरीर तप रहा था। वैद्यजी को खबर कर दी है।" "रानी को खबर नहीं दी?" चलदेवी ने पूछा। “इसलिए नहीं कहला भेजा कि घबरा जाएंगी। वैद्यजी के आने के बाद वह जानकर कि क्या कहेंगे, तब कहला 'भेजेंगे।" विहिदेव ने कहा। पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :- 361
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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