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शाम्तलदेवी ने जो बुद्धिमाना दिखायी और स्थिति की संभाला, इसी से आपका खुशी से स्वागत कर मकने की हालत आज उत्पन्न हुई है।'' यो कहकर इस दिन की अमराई में हुई बानबीन से लेकर बोपदेवी के गर्भवती बनने के प्रसंग तक का साग बिवरण देकर बताया कि इस गर्मधारण के कारण गलत विचार करने लगने से वातावरण कलुषित हो उठा धा 1 उस वातावरण को स्वस्थ बनाने में शान्तलदेवी का कितना प्रमुख भाग था, चट्टाला के त्याग के कारण क्या उपकार हुआ, गालव्यं आदि की निष्ठा से रहस्य कैंस खुला, भयंकर षड़यन्त्र के खुल जाने
और गष्ट्र को विजयी बनाने आदि विशिष्ट बानों का सम्पूर्ण व्यौरा कह सुनाया। गजमहल में किस तरह से सन्तोष का हर लहराने लगी वगैरह सभी बाता स महागज बल्लाल ने महामातृधी को अवगत कराया। और अन्न में कहा, "देखिए माताजी, महादण्डनायक या दण्डनायिका इन दोनों ने या इनमें में किसी एक ने उस आचण को अपने बराबर की हेसिंचत का न मानका कह दिया कि 'हम अंचे और तम निचले स्तर के हो।' यों कहकर उस आतण के पन की दरखा रिचा। उसका फल, कब किस रूप में फट पड़ा। अब गनियों को पता चल गया हैं कि वे स्वयं क्या हैं। जो भी हुआ सो अच्छा ही हुआ, यही लगता है।"
वृक्ष पं पके और पचाल में गर्मी देकर पकाय फलों में क्या अन्नर है, सो अब मानम मा गया होगा। इस तीर्थयात्रा ने मुद्दा मानसिक शान्ति दी, इसलिए जब मैं लौन आयी। भगवान ने यह अनग्रह किया कि मैं सबको खुश देख सकी। छोटे अप्पाजी और उदय पर लौटते वक्त यहाँ होत तो आन ही सयका एकसाथ देसने की तृप्ति पिन जाती। अब तो उनकं आने की प्रतीक्षा करनी होगी।
'वही होता। उढरा की असन्तुष्टि के कारण उनकी यह यात्रा है। असन्तष्टि का उदय के मन में होना ठीक नहीं लगा, इसलिए उसे यादवपुरी भेजने का निर्णय | किया है। इसके अतिरिक्त यह भी निश्चित बात थी कि शान्तलदेवी के उपस्थित
रहने पर ही राजमहल का वातावरण शुद्ध और स्वस्थ रहता है, और छोटे आपाजी । पर यह दृढ़ विश्वास है कि उसके साथ रहने से हमारी शक्ति कई गना बढ़
जाएगी-इन कारणों में इन दोनों को नहीं ठहरना उचित समझकर ऐसा निर्णय ।। हम दोनों ने किया। उदय क साथ यादवपर्ग जाकर, कसको कहाँ की सारी बातें
समझाकर आन के लिए वोट अप्पाजो साय गये हैं। अभी दोनों का आन के लिए | खबर भेज दी गयी है। अब दो एक-दिन में आ ही जाएंगे। उन्हें भी आपके
दर्शन की उतनी ही आतरता हैं।" नलाल ने बताया। । “दा दिन प्रतीक्षा में व्यतीत करना भी अव काटकर मालूम होता हैं। लाचार
हूँ, प्रतीक्षा नो करनी ही होगी। न दोनों के यहाँ रहते सभी बुजुर्गों को इकट्ठा कर मराजगद्दी के भावी उत्साधिकारी के विषय में निर्णय कर लेना अच्छा है। छोटी ग़नी
पदमहादेवी शान्तला : भाग ढंय :: 357