SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भेंट-उपहार ले आये थे, वर-वधू के लिए वह परिवार सहित आये थे। नायक के साथ उनकी पत्नी और दोनों पुत्र आये थे। उसका बड़ा बेटा नीणये नायक छ: बरस का था। छोटा बेटा मानेनायक और चन्दलदेवी का बेटा बिट्टिगा दोनों करीय समवयस्क थे। जग्गदेव से हुए युद्ध के बाद, डाकरस दण्डनाथ चादवपुरी में ही रहे। पता नहीं, ये गाल्व कब कैसे व्यवहार करने लग जाएँ-इसलिए उधर काफ़ी सतर्क रहकर उस ओर की रक्षा का दायित्व दक्ष हाथों में रहे, ऐसी व्यवस्था की गयी थी। अब इस विवाह समारम्भ के लिए डाकरस दण्डनाथ तथा उनकी पत्नी एचियक्का और उनके पुत्र मरियाने और भरत भी आये थे। सिंगिमय्या और सिरियादेवी को तो आना ही था। सिंगिमय्या तो शान्तला के मामा ही थे और कन्यादान के समय मामा का उपस्थित रहना आवश्यक होता है। एक समय था कि जब पद्यलदेवी यह सोचकर कि पटरानी पद के लिए अपनी प्रतिस्पर्धिनी के रूप में शान्तला बढ़ रही है उसके प्रति द्वेष भाव से अन्दर ही अन्दर जल रही थी, आज उसी पद्मला को अय स्वयं मंगलवेदिका पर बैठी शान्तला को राजमहल की बह स्वीकार करना था। इसलिए आज इस द्वेष के बदले अखण्ड प्रेम और कृतज्ञता की भावना से उसका हृदय भर आया था। उपनयन संस्कार कस्तू स-- अ। दंपन। सेवा ही विशालमारम्भ धा। विवाह वेदिका सलिंकार से सुसज्जित हो गयी थी। मांगलिक तूर्यनाद से दिशाएँ गूंजने लगी थीं। यथाविधि बेदघोष होने लग गया। पुष्पमाला धारण, मांगल्य धारण, सप्तपदी आदि वैवाहिक विधियाँ यधाशास्त्र सम्पन्न हुई। विवाह बदी हषोल्लास से भर उठी। अब नज्ञराने, भेंट-चढ़ावे पुरोहितों के विधिवत् मन्त्र घोष के साथ वर-वधू के हाथ में देनेवालों के नाम घोषित करते हुए सौंपे जाने लगे। इस सिलसिले में श्रीदेवी के आशीर्वाद के साथ, एक सोने के परात में सफ़ेद जरीदार रेशम की साड़ी, कंचुकी, मंगलद्रव्य, सोने का हार, कंगन आदि विवाह के उपलक्ष्य में वधू बनी शान्तला के हाथों में पुरोहितों ने श्रीदेवी का नाम घोषित करते हुए दिये। चकित होकर शान्तला और बिट्टिदेव ने इस तरह पुरस्कृत करनेवाली महिमामनी को अन्वेषण करती दृष्टि से चारों ओर निहारा । दूर से ही उन्होंने देखा कि रेविमय्या और बुतुगा श्रीदेवी को लिवाकर आ रहे हैं। उनके साथ एक सुन्दर बालक भी था। ___उन्हें आते देख बल्लाल और उनकी रानियों, एचलदेवी, गंगराज आदि प्रमुख राजपुरुष उठ खड़े हुए। श्रीदेवी के पास आने पर वर-वधू दोनों ने एक साथ आगे बढ़कर उनके पैर छुए। श्रीदेवी ने झुककर उनकी पीठ सहलाते हुए कहा, "उठो, भगवान दयामय है। इसका एक प्रमाण यही है कि भगवान ने तुम दोनों को साथ पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :: 27
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy