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________________ बताता है और हमें छूट-पट नोड़ों पर फुदकते फिरनेवाले इरपोक कह रहा है। अगर हम अपनी शक्ति और अपने युद्ध-कौशल को न दिखाएँ तो क्या फायदा?" _ 'फिर भी अकारण जानथूझकर मुसीबत मोल ले लेने से क्या लाभ?" गंगराज ने निवेदन किया। "ये सब बातें मृत्य से डरनेवालों के लिए हैं, हमारे लिए नहीं। राष्ट्र का गौरव हमारे जीवन से बड़ा है। कल के युद्ध के महादण्डनायक हम होंगे। समझ गये? रातारातं सारी तैयारी हो जाए; सूर्योदय होते ही शार्दूल पताका लेकर हमारी अश्वसेना एकदम -सेना पर धावा बोल देगी ! और उसे पिन्न-छिन्न कर देगी। सभी दल-नायकों और सेना-नायकों को अभी तुरन्त बुलवा लें।" बल्लाल ने कहा। ''सन्निधान और कुछ सोचें तो बेहतर होगा" धीरे-से गंगराज ने कहा। ''सन्निधान का कहना मुझे टीक लग रहा है। मुझे अनुभव से यह स्पष्ट हो गया है कि इन सान्तसें की सेना में कुछ आतंक फैला दें तो बह जल्दी यश में आ जाएगी।'' माचण दण्डनाथ ने कहा। "सन्निधान की सलाह मुझे भी मान्य है। प्रभु कभी कभी कहा करते थे कि गोसी परिस्थिति में जब कुछ समझ में न आए तो ऐसी कार्ययोजना अच्छा फल देती है। परन्तु सन्निधान का अग्रसर होकर जाना मेरे लिए स्वीकार्य नहीं।" डाकरस ने कहा। "क्यों: इसलिए कि मुझे प्राणों का डर हैं।" बल्नाल ने पूछा। "सन्निधान के प्राण राष्ट्र के लिए अनमोल हैं। राष्ट्र का अस्तित्व जितना महत्त्व रखता है, सन्निधान की सुरक्षा भी उतनी ही मूल्यवान है।' डाकरस ने जवाब दिया। ___ "महादण्डनायक की भी राय वही होगी?" "हमको इस लायक तैयार करनेवाले तो वे ही हैं। उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में जो आचरण किया, उसी को सिखाया हम सब लोगों को। प्रभुजी इन मलेपों के साथ हुए युद्ध में हमारी यात मान जाते तो कितना अच्छा होता! सन्निधान भी तब प्रत्यक्षदर्शी रहे।" __दण्डनाथ जी, आपमें महादण्डनायक का खून बह रहा है, उन्हीं की तरह आप बात करते हैं। हममें प्रभुजी का खून बह रहा हैं, हम उनकी तरह बरतेंगे। मेरी समझ में चर्चा अब बहुत हो गयी। नायकों को बुलवाइए।" बल्लाल ने आज्ञा दी। उन लोगों को बुलाने के लिए कुछ सैनिकों को भेजा गया। जल्दी ही सब इकट्ठे हो गये। खुद बल्लाल ने दूसरे दिन के हमले के बारे में विस्तार से समझाया। सब लोगों को अपने साथ नये कुटार, नयी धारदार तलवार और 206 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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